एमएच 370 विमान के लापता होने के ठीक एक साल बाद रविवार को उस विमान पर सवार 239 लोगों के परिवारों ने एकजुट होकर अपने परिजनों को याद किया। मलेशियाई प्रधानमंत्री ने विमान के मलबे की खोज में हार न मानने का संकल्प जताया। पिछले साल लापता विमान हिंद महासागर के ऊपर हवा में नष्ट हो गया था।
प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक ने मलेशिया एअरलाइन्स के विमान बोइंग 777 के लापता होने की पहली पुण्यतिथि के अवसर पर दिए बयान में कहा, ‘हमारे अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर हमने उपलब्ध हो सके थोड़े-बहुत साक्ष्यों के आधार पर काम किया है। मलेशिया खोज के लिए प्रतिबद्ध है और उसे उम्मीद है कि एमएच 370 मिल जाएगा।’
विमान एमएच 370 पिछले साल आठ मार्च को उस समय लापता हो गया था, जब वह कुआलालंपुर से बेजिंग जा रहा था। उस विमान में यात्रियों और चालक दल समेत कुल 239 लोग सवार थे। विमान में पांच भारतीय भी थे। ऐसा माना जाता है कि विमान के सफर का अंत दक्षिणी हिंद महासागर में हो गया था। आस्ट्रेलिया के नेतृत्व में दक्षिणी हिंद महासागर में चल रहे खोज प्रयासों में विमान का अभी तक कोई संकेत नहीं मिला है। मलेशिया के नागरिक उड्डयन विभाग ने 29 जनवरी को घोषणा करके इस विमान के लापता होने को एक दुर्घटना बताया था।
लगातार विमान की खोज में लगे अंतरराष्ट्रीय दलों और लोगों को धन्यवाद करते हुए नजीब ने कहा, ‘एमएच 370 का लापता होना और इसकी खोज अभूतपूर्व है। यह उड्डयन इतिहास का अब तक का सबसे जटिल और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण काम है। मलेशिया एअरलाइन्स के लगभग 600 कर्मचारी और एमएच 370 के चालक दलों के परिजन यहां लापता विमान की पहली पुण्यतिथि के अवसर पर यहां एक निजी आयोजन में एकजुट हुए। इस आयोजन का नेतृत्व एमएएस अध्यक्ष मोहम्मद नोर यूसुफ और एमएएस समूह के कार्यकारी अधिकारी अहमद जौहरी याह्या ने किया।
विमान में मौजूद लोगों के परिजनों की मदद के लिए समर्पित समूह वॉयस 370 यहां एक मॉल में ‘डे आॅफ रिमेंबरेंस’ का आयोजन कर रहा है। इसी बीच आॅस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबट ने कहा कि यदि विमान नहीं मिलता है तो दक्षिणी हिंद महासागर में उसकी खोज को विस्तार दिया जा सकता है। उन्होंने सिडनी में कहा, ‘यदि इस खोज में सफलता नहीं मिलती, तो हमारा विचार दूसरी खोज करने का है। इस खोज में 60 हजार वर्ग किलोमीटर के दायरे में खोज की गई है। यदि यह विफल रहती है तो दूसरे 60 हजार वर्ग किलोमीटर के दायरे में खोज की जाएगी। जैसा कि मैंने कहा है कि हम विमान को खोज निकालने के लिए तर्कसंगत रूप से आश्वस्त हैं।
मलेशियाई विमान एमएच 370 के हिंद महासागर के ऊपर से रहस्यमयी तरीके से लापता हो जाने से एक साल से भी अधिक पहले ही इसके विमान डॉटा रिकॉर्डर में स्थान बताने वाली बत्ती की बैटरी ने काम करना बंद कर दिया था। यह बात एक अंतरिम रिपोर्ट में कही गई जिसमें विमान के चालक दल के किसी असामान्य व्यवहार की ओर इशारा नहीं किया गया है। विमान दुर्घटना के एक साल पूरा होने के मौके पर प्रकाशित रिपोर्ट में विमान के लापता होने के बारे में विश्लेषण के बजाए तथ्यात्मक सूचनाएं हैं। इसमें विमान में सवार रहे पांच भारतीयों समेत 239 लोगों के रिश्तेदारों को इस बात का स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है कि विमान राडार की पहुंच से बाहर क्यों हो गया था।
जांच अधिकारियों को पिछले साल आठ मार्च को यहां से बेजिंग के लिए उड़ान भरने के महज एक घंटे बाद राडार की पहुंच से बाहर हो गए। मलेशिया एअरलाइन्स के विमान के पायलटों और चालक दल के सदस्यों के बीच किसी तरह के असामान्य व्यवहार का कोई संकेत नहीं मिला।
584 पन्नों की अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कैप्टन, फर्स्ट आॅफिसर और चालक दल के सदस्यों में सामाजिक अलगाव, आदतों या रुचियों में बदलाव, ड्रग या शराब के सेवन जैसे व्यावहारिक संकेत नहीं दिखाई दिए।’ इसमें कहा गया है कि एमएच 370 के कैप्टन जहारी अहमद शाह को कोई निजी या आर्थिक समस्या नहीं थी जिससे उन पर संदेह किया जा सके। रखरखाव रिकॉर्ड के अनुसार, ‘एसएसएफडीआर यूएलबी बैटरी की मियाद दिसंबर 2012 में खत्म हो गई थी। इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि एसएसएफडीआर यूएलबी बैटरी इसकी मियाद खत्म होने से पहली बदली गई हो।’
जांच अधिकारियों को अभी तक विमान का मलबा नहीं मिला है और वे अभी तक इस बात को नहीं बता पाए हैं कि यह विमान अपने तय रास्ते से भटक कैसे गया। तलाशी दल दक्षिण हिंद महासागर क्षेत्र में 60,000 वर्ग किलोमीटर के दायरे में विमान की तलाश कर रहे हैं। मलेशियाई प्रधानमंत्री नाजिब रजाक ने संकल्प लिया कि विमान के मलबे की तलाश छोड़ी नहीं जाएगी।
उन्होंने बोइंग 777 विमान के लापता होने के एक साल पूरा होने के मौके पर कहा, ‘हमने अपने अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ छोटे से छोटे सबूत पर काम किया है। मलेशिया खोजबीन के लिए प्रतिबद्ध है और उम्मीद है कि एमएच 370 मिलेगा।’ आॅस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबट ने कहा कि अगर मौजूदा अभियान असफल होता है तो तलाशी दूसरे क्षेत्र में की जाएगी।