रूस का मून मिशन लूना 25 चांद पर क्रैश हो गया है। भारत के चंद्रयान 3 के बाद लॉन्च हुआ रूस का ये मिशन शुरुआत से ही अपनी तकनीक की वजह से चर्चा में बना हुआ था। तर्क दिया जा रहा था कि ये इतना हल्का है कि आसानी से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कर जाएगा। लेकिन इसके एकदम उलट हुआ है, लूना लैंडिंग से पहले ही क्रैश कर गया। इस फेलियर के कई कारण माने जा रहे हैं। इसमें एक राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की जिद भी बताई जा रही है।
रूस का लूना मिशन कहां चूका?
असल में रूस का लूना अचानक से प्री लैंडिंग ऑर्बिट में पहुंच गया, उसके वहां जाते ही रूसी स्पेस एजेंसी का उससे संपर्क टूट गया। कोशिश की गई कि कनेक्शन फिर रीस्टोर किया जाए, लेकिन कई घंटों बाद उसे क्रैश घोषित कर दिया गया। बताया गया कि पहले तो लूना गलत ऑर्बिट में दाखिल हो गया और फिर वहां से सिग्निल टूटने की वजह से सीधे चांद पर क्रैश हो गया। अभी के लिए रूस इस फेलियर की जांच की बात कर रहा है। समझने का प्रयास रहेगा कि इतने करोड़ों खर्च करने के बाद भी चूक कहां हो गई।
पुतिन की जिद पड़ी भारी?
शुरुआती जांच के बाद इतना जरूर कहा जा रहा है कि रॉकेट में कुछ तकनीकी खराबी आ गई थी। बड़ी बात ये रही कि उस समय लूना प्री लैंडिंग ऑर्बिट में जा रहा था, ऐसे में चूक की कोई गुंजाइश नहीं थी। लेकिन क्योंकि संपर्क बीच में ही टूट गया, रूस का चांद पर जाने का सपना चकनाचूर हो गया। यहां ये समझना जरूरी है कि रूस की स्पेस एजेंसी वैसे भी इस प्रोजेक्ट को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं थी। असल में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को कहा गया था कि इस मिशन की सफलता की चांसेंस बस 70 फीसदी हैं। उन्हें बता दिया गया था कि इस मिशन में खतरा बड़ा है, लेकिन फिर भी उन्होंने किसी की एक नहीं सुनी और इस मिशन को हरी झंडी दिखाई गई।
वैसे रूस का स्पेस में फेल होने का पुराना इतिहास है। साल 2012 में रूस का मार्स पर जाने वाला मिशन भी बुरी तरह फ्लॉप हो गया था। तब तो वो मिशन धरती की ऑर्बिट से भी बाहर नहीं निकल पाया था। वहीं दूसरी तरफ भारत ने पहली ही बार मंगलयान को सफल बना दिया था।