सर्च इंजन गूगल ने अमेरिकी लेखिका लुइसा मे एल्कॉट की 184वीं जयंती पर डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। एल्कॉट का जन्म 29 नवंबर 1832 में अमेरिका के पेन्सिलवेनिया में हुआ था। लिटिल वुमन (1868), लिटिल मेन (1871) और जोज ब्वायज (1886) उनकी चर्चित किताबें हैं। लेखन के अलावा एल्कॉट नारीवादी और दासतामुक्ति आंदोलनों से गहराई से जुड़ी रहीं थीं। एक दर्जन से ज्यादा किताबों की लेखिका एल्कॉट के बाल उपन्यास लिटिल वुमन को अमेरीकी बाल साहित्य की सर्वेश्रेष्ठ रचनाओं में शुमार किया जाता है।
एल्कॉट के माता-पिता शिक्षक थे। उनके पिता एमोस ब्रान्सन एल्कॉट ट्रांसडेंटल दर्शन के प्रचारक भी थे। ब्रान्सन राल्फ वाल्डो एमर्सन और हेनरी डेविड थोरो के सहयोगी थे। एल्कॉट के पालन-पोषण पर ट्रांसडेंटल दर्शन का काफी प्रभाव पड़ा था। एल्कॉट अपनी चार बहनों में दूसरे नंबर पर थीं। परिवार की खराब आर्थिक हालात के कारण उन्हें कम उम्र से ही टीचर, दर्जी, आया और घरेलू सहायक इत्यादि की नौकरियां करनी पड़ी थीं। उनके लेखन की शुरुआत साहित्यिक पत्र-पत्रकिाओं से हुई। लेकिन जब उन्होंने अपने बचपन के अनुभवों को आधार बनाकर बाल उपन्यास लिटिल वीमेन लिखा तो रातोंरात उनकी पहचान एक लेखिका के तौर पर स्थापित हो गई। लिटिल वुमन की मुख्य नायिका ‘जो’ एल्कॉट का ही प्रतिरूप थी। गूगल के डूडल में भी ‘जो’ के हाथ में कागज का पुलिंदा है जिसमें से कुछ कागज बाहर फिसर चुके हैं।

एल्कॉट ने 1861 में छिड़े अमेरिकी गृह युद्ध में नर्स के तौर पर काम किया था। एल्कॉट अफ्रीकी-अमेरिकियों के संग भेदभाव और दासता प्रथा की पुरजोर विरोध करती थीं। उन्होने दासता प्रथा के समापन के लिए कई लेख लिखे। हालांकि उन्हें लोकप्रियता बाल उपन्यासों से ही मिली। गूगल ने अपने डूडल में लिटिल वुमन के चार प्रमुख पात्रों को ही आधार बनाया है। आजीवन अविवाहित रहने वाली एल्कॉट का आठ मार्च 1888 को अमेरिका के बोस्टन में 55 वर्ष की आयु में देहांत हो गया।
