राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार (8 मई) को ईरान के साथ हुए ऐतिहासिक परमाणु करार को खत्म करने का ऐलान किया। ट्रंप ने कहा कि वह दुनिया को सुरक्षित बना रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के अनुसार 2015 में हुआ समझौता ”भयावह एकतरफा सौदा था जो कभी नहीं होना चाहिए था।” ट्रंप ने ऐलान किया कि परमाणु हथियारों को लेकर ईरान की मदद करने वाले देशों पर अमेरिका ”कड़े आर्थिक प्रतिबंध लागू करेगा।” ट्रंप ने ईरान और संयुक्त समग्र कार्ययोजना (जीसीपीओए) के नाम से जाने वाले परमाणु समझौते की फिर से आलोचना करते हुए कहा कि यह समझौता ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने या क्षेत्र में आतंकवाद को बढ़ावा देने से रोकने में विफल रहा है। उन्होंने कहा, “समझौते के कमजोर प्रावधान पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। अगर मैंने इस समझौते को बनाए रखने की इजाजत दी तो जल्द ही मध्य पूर्व में परमाणु हथियारों की दौड़ शुरू हो जाएगी। ईरान के परमाणु हथियारों के निर्माण के साथ ही हर देश अपने हथियार तैयार करना चाहेगा।”
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, जिनके कार्यकाल में यह करार पूरा हुआ, ने इसे ”एक भारी भूल” बताया जो कि अमेरिका की वैश्विक साख को खत्म कर देगा। उन्होंने कहा कि ट्रंप का सौदा खत्म करने का फैसला ‘भटकावपूर्ण’ है क्योंकि ईरान समझौते पर अमल करता आ रहा है। ओबामा ने कहा, “लगातार समझौतों की उपेक्षा करने से अमेरिका की विश्वसनीयता खतरे में पड़ सकती है और साथ ही इससे विश्व की बड़ी शक्तियों के साथ हमारे मतभेद पैदा होने का भी खतरा है।”
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका के बिना भी तेहरान अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं के साथ परमाणु सौदे में बना रहेगा। रूहानी ने प्रेस टीवी पर अपने भाषण के सीधे प्रसारण में कहा, “इस वक्त परमाणु सौदा ईरान और पांच देशों के बीच है।” उन्होंने कहा, “मैं खुश हूं कि घुसपैठिए (अमेरिका) ने परमाणु सौदे से किनारा कर लिया है।” रूहानी ने कहा, “ईरान ने साबित किया है कि वह अपने अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों के प्रति प्रतिबद्ध है।”उन्होंने कहा कि हमारे अनुभव ने दर्शाया है कि पिछले 40 सालों में अमेरिका अपनी प्रतिबद्धताओं पर कभी खरा नहीं उतरा है।
2015 में अमेरिका व अन्य महाशक्तियों संग हुए करार के बाद ईरान से अधिकतर अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हट गए थे। बदले में, ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाने पर सहमति दी थी। यानी ईरान के लिए भारी निगरानी के बीच बम बनाना असंभव हो गया था। सऊदी अरब ने ईरान परमाणु समझौते से अलग होने के अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले का स्वागत किया है।
अमेरिका और ईरान के अलावा इस समझौते में शामिल ब्रिटेन, चीन, जर्मनी, फ्रांस और रूस में से ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने ट्रंप के इस फैसले पर खेद व्यक्त किया है। फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रों ने ट्रंप के इस फैसले पर दुख जाहिर करते हुए कहा कि अमेरिका के इस फैसले से फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन निराश हैं। मैक्रों, मर्केल और थेरेसा मे ने ईरान परमाणु समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धता कायम रखने की बात दोहराते हुए कहा है कि यह समझौता हमारी साझा सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
समाचार एजंसी एपी के अनुसार, ट्रंप ने मंगलवार को ही फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुल मैक्रों और चीन के नेता शी जिनपिंग से बात की। ब्रिटिश विदेश सचिव इस सप्ताह वाशिंगटन गए ताकि अमेरिका को करार में बने रहने के लिए मना सकें।