सिंगापुर के संस्थापक जनक ली क्वान यू का आज 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने आधी सदी से अधिक समय तक देश की राजनीति में अपना प्रभुत्व बनाए रखा और पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश को एक वैश्विक व्यापार एवं वित्तीय शक्ति में तब्दील कर दिया।

सरकार ने कहा कि सिंगापुर के प्रथम प्रधानमंत्री ली का ‘‘सिंगापुर जनरल हॉस्पिटल में निधन हो गया।’’ वह निमोनिया के चलते पांच फरवरी से चिकित्सकों की गहन निगरानी में थे।

टेलीविजन पर एक भावुक संबोधन में उनके पुत्र एवं वर्तमान प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, ‘‘वह हमारी स्वतंत्रता के लिए लड़े, एक ऐसी जगह से राष्ट्र का निर्माण किया जहां कुछ खास नहीं था, और देश को ऐसा स्थान बनाया जहां हमें सिंगापुरी होने पर गर्व हो। हमें उनके जैसा कोई दूसरा नेता नहीं मिलेगा।’’

जूनियर ली ने कहा कि उनके पिता का पार्थिव 25 से 28 मार्च तक संसद भवन में रखा जाएगा, ताकि जनता अंतिम दर्शन कर सके। ली की मौत की घोषणा के साथ विश्व नेताओं की ओर से श्रद्धांजलि का तांता लग गया।

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ली को ‘‘इतिहास का एक सच्चा नेता’’ करार दिया, वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने उन्हें ‘‘एशिया की प्रसिद्ध हस्ती’’ करार दिया। चीनी विदेश मंत्रालय ने उन्हें ‘‘एशिया का विलक्षण प्रभावशाली राजनेता’’ करार दिया। उनके निधन की खबर सुनकर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए अस्पताल और प्रधानमंत्री कार्यालय में लोगों की कतार लग गई।

सिंगापुर ने आज से सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। ली का 29 मार्च को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा।
देश के 31 साल तक प्रधानमंत्री रहे ली को सिंगापुर की समृद्धि के शिल्पी के रूप में जाना जाता है।

वर्ष 1923 में जन्मे ली 1959 में प्रधानमंत्री बने थे जब सिंगापुर जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा था जिसके पास कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं थे और जहां बहुभाषी चीनी, मलय और भारतीय आबादी थी तथा जो ब्रिटिश भूभाग का हिस्सा था और दंगों तथा अशांति से त्रस्त था। उन्होंने 1965 में सिंगापुर के मलेशिया से अलग होने की घटना का नेतृत्व किया।

ली के प्रमुख सिद्धांतों में प्रभावी एवं साफ छवि की सरकार, कारोबार अनुकूल आर्थिक नीतियां, और सामाजिक व्यवस्था जैसी चीजें शामिल थीं जिससे देश में व्यापक निवेश आकर्षित करने में मदद मिली। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद विश्व की सबसे बड़ी कंपनियां सिंगापुर पहुंचीं और जल्द ही देश का जीवन स्तर अव्वल दर्जे का हो गया।

करिश्माई नेता ली ने पीपुल्स एक्शन पार्टी (पीएपी) की सह स्थापना की जो सिंगापुर पर 1959 से शासन कर रही है। कैम्ब्रिज से शिक्षा प्राप्त ली की मीडिया की स्वतंत्रता पर रोक और राजनीतिक विरोधियों के साथ कठोर बर्ताव के लिए आलोचना भी हुई।

ली ने 1990 में प्रधानमंत्री पद छोड़ दिया था। हाल के वर्षों में ली का स्वास्थ्य गिरने के संकेत थे। वर्ष 2010 में उन्हें सीने में संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वर्ष 2013 में भी उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

ली के परिवार में दो पुत्र- सिंगापुर के वर्तमान प्रधानमंत्री ली सीन लूंग (63) और ली सीन यांग (57), पुत्री ली वेई लिंग (60), सात पोते-पोतियां और दो भाई-बहन हैं। उनकी पत्नी का 89 साल की उम्र में 2010 में निधन हो गया था।

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ली की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक ऐसा ‘‘दूरदर्शी’’ नेता बताया जिन्होंने 1965 में अपने देश की स्वतंत्रता के बाद उसे आज विश्व के सबसे समृद्ध देशों में शुमार करने में अहम भूमिका निभाई। ओबामा ने ली के निधन के बाद एक बयान में कहा, ‘‘वह एक समर्पित जनसेवक और बेहतरीन नेता थे।’’

चीन ने ली को एशिया का विलक्षण प्रभावशाली राजनेता करार दिया और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने उन्हें ‘‘चीन के लोगों का पुराना मित्र’’ बताया। शी ने कहा कि ली, जो मूल रूप से चीनी थे, का सम्मान अंतरराष्ट्रीय समुदाय एक नीतिकार और राजनेता के रूप में करता था। उन्होंने ली के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगापुर के प्रथम प्रधानमंत्री ली क्वान यू के निधन पर शोक प्रकट करते हुए उन्हें एक अग्रणी नेता करार दिया। मोदी ने एक वक्तव्य में कहा, ‘‘वह एक दूरदृष्टि वाले राजनेता और एक अग्रणी नेता थे। ली क्वान यू का जीवन सभी लोगों को बहुमूल्य शिक्षा देता है। उनके निधन का समाचार दुखद है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘शोक की इस घड़ी में हमारी संवेदनाएं ली क्वान यू के परिवार और सिंगापुर की जनता के साथ हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें।’’