लेबनान में बेरूत धमाके को लेकर जोरदार प्रदर्शनों और विरोध के बाद आखिरकार सोमवार को वहां की सरकार झुक ही गई। प्रधानमंत्री हसन दिआब सहित पूरी सरकार ने इस्तीफा दे दिया। लेबनान के प्रधानमंत्री ने कहा कि बेरूत बंदरगाह पर हुए विस्फोटों के मद्देनजर वह पद छोड़ रहे हैं।
इससे पहले, धमाके को लेकर एक और कैबिनेट मंत्री के इस्तीफा देने के बीच देश के एक न्यायाधीश ने सोमवार को सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों से पूछताछ शुरू की।
सरकारी ‘नेशनल न्यूज एजेंसी’ के अनुसार न्यायाधीश गस्सान एल खोरी ने सुरक्षा प्रमुख मेजर जनरल टोनी सलीबा से पूछताछ शुरू की। इस संबंध में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है और अन्य जनरलों से भी पूछताछ होनी है।
एजेंसी ने एक खबर में बताया कि न्याय मंत्री मारी-क्लाउद नज्म ने सोमवार को प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया। नज्म धमाके को लेकर इस्तीफा देने वाली तीसरी कैबिनेट मंत्री हैं। कैबिनेट की बैठक भी सोमवार को प्रस्तावित है।
बता दें कि चार अगस्त को हुए विस्फोट में 160 लोगों की मौत हुई थी और लगभग छह हजार लोग घायल हुए थे। इसके अलावा देश का मुख्य बंदरगाह नष्ट हो गया था और राजधानी के बड़े हिस्से को नुकसान हुआ था।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार धमाके के सिलसिले में लगभग 20 लोगों को हिरासत में लिया गया है जिनमें लेबनान के सीमा-शुल्क विभाग का प्रमुख भी शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि दो पूर्व कैबिनेट मंत्रियों समेत कई लोगों से पूछताछ की गई है। धमाके के विरोध में बेरूत में पिछले दो दिन में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई है।
विस्फोट से तबाह हुआ 19वीं शताब्दी का ऐतिहासिक महलः बेरूत के 160 साल पुराने महल ने दो-दो विश्वयुद्ध झेले, उस्मानिया साम्राज्य का सूरज अस्त होते देखा, फ्रांस का कब्जा और फिर लेबनान की स्वतंत्रता का गवाह बना। आजादी के बाद 1975-1990 के खूनी गृहयुद्ध खत्म होने पर 20 साल की मशक्कत से इसकी पुरानी शान बहाल की गई, लेकिन बेरूत में हुए भयानक धमाके में यह तबाह हो गया।
बेरूत में सबसे ज्यादा मंजिलों वाली इमारतों में शामिल इस ऐतिहासिक सुर्सोक महल के मालिक रोडरिक सुर्सोक का कहना है, ‘‘ एक पल में सब कुछ फिर से तबाह हो गया।’’ सुर्सोक महल की ढह चुकी छतों, धूल से भरे कमरों, टूटी फर्श और दरारों से पटी पड़ी दीवारों पर लटक रहे पूर्वजों के पेंटिंग के बीच सावधानी पूर्वक चलते हैं। वह बताते हैं कि भवन की ऊपरी मंजिल की छत पूरी तरह से टूट चुकी है, कुछ दीवारें भी गिरी हैं।
उन्होंने कहा कि इस महल को 15 साल के गृह युद्ध में जितना नुकसान पहुंचा था, उससे 10 गुणा ज्यादा नुकसान बेरूत में पिछले सप्ताह हुए भयानक विस्फोट से हुआ। इस महल का निर्माण 1860 में हुआ था और यह उस्मानिया काल के फर्नीचर, संग मरमर और इटली के बेहतरीन पेंटिंग से सजा था। दरअसल इस भवन से जुड़ा परिवार ग्रीक ऑर्थोडॉक्स परिवार से ताल्लुक रखता है। यह परिवार मूल रूप से बैजंतिया साम्राज्य की राजधानी कुस्तुनतुनिया यानी इस्तंबुल का है जो 1714 में बेरूत में बस गया था। (भाषा इनपुट्स के साथ)