चीन में पति-पत्नी को दो बच्चे पैदा करने की छूट देने का प्रस्ताव ज्यादातर जोड़ों को पसंद नहीं आया है। इसकी वजह है महंगाई। यह बात एक सरकारी सर्वे में सामने आई है। सर्वे चाईना यूथ डेली ने किया है। इसमें 3000 लोगों को शामिल किया गया। इनमें से आधी महिलाएं थीं। 52 फीसदी लोगों ने कहा कि दूसरे बच्चे का खर्च उठाना आसान नहीं होगा। उनकी राय में एक और बच्चा पैदा करने से उन्हें अपने जीने का स्तर थोड़ा नीचे ले जाना होगा। हालांकि, 46 फीसदी लोगों ने दूसरा बच्चा पैदा करने के पक्ष में राय दी।
इस सर्वे का नतीजा चीन सरकार की योजना के लिए झटका है। सरकार चाहती है कि दो बच्चे पैदा करने की इजाजत देकर देश में लड़कियों की घटती संख्या पर काबू पाया जाए। साथ ही, तेजी से उम्रदराज होती आबादी के चलते काम करने वाले लोगों की संख्या घटने की समस्या का भी समाधान खोजा जाए। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक 2050 तक चीन में 60 साल से अधिक उम्र के लोगों की संख्या करीब 44 करोड़ होगी। चीन ने आबादी में वृद्धि पर रोक लगाने के लिए 1970 के दशक के अंत में अपनी परिवार नियोजन नीति लागू की थी और इसके तहत ज्यादातर शहरी दंपतियों को एक बच्चे तथा ज्यादातर ग्रामीण दंपतियों को दो बच्चे रखने तक सीमित कर दिया था। दूसरे बच्चे की इजाजत तभी थी जब पहला बच्चा लड़की हो। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन दुनिया की सर्वाधिक आबादी वाला देश है जहां 1.3 अरब से अधिक जनसंख्या है।
इस महीने की शुरुआत में चीन ने दशकों पुरानी एक बच्चे की अपनी विवादास्पद नीति को खत्म करने का फैसला लिया था। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की नीति निर्धारक इकाई की बैठक में यह निर्णय हुआ था। यह बैठक पांच साल में चीन के सामाजिक व आर्थिक विकास का खाका तैयार करने और उस पर अमल की रणनीति बनाने के लिए हुई थी।
कानून से पैदा हुई कई समस्याएं: सबसे ज्यादा आबादी वाले चीन में एक बच्चे का कानून 1979 में लागू किया था। इसे बढ़ती आबादी पर लगाम लगाने के मकसद से लागू किया गया था। पर इसके कई बुरे नतीजे सामने आए। जबरन गर्भपात, उम्रदराज लोगों की बढ़ती आबादी, काम करने वाले लोगों की कमी और सेक्स रेश्यो में असंतुलन जैसी समस्याओं से चीन हलकान हो गया। यूएन के ताजा आंकड़ों के मुताबिक साल 2050 तक चीन में 44 करोड़ लोग 60 साल से ज्यादा उम्र के होंगे। चीन में कामकाजी लोगों की आबादी 37 लाख ही रह गई है। चीन में लड़कियों की तुलना में लड़कों की आबादी 3.3 करोड़ ज्यादा है। पारंपरिक रूप से चीनी समाज में लड़के को ज्यादा अहमियत दी जाती है। गर्भ में लड़की होने पर कई कपल्स अबॉर्शन करा लेते हैं। प्रत्येक 100 लड़कियों के मुकाबले 117 लड़के जन्म ले रहे हैं। हालत यह है कि 2020 तक शादी के लायक हो चुके कुंआरों की संख्या 3 करोड़ हो जाएगी।
अर्थशास्त्री ने सुझाया था अजीब समाधान: चीन में कुआरों की बढ़ती संख्या से निपटने के लिए इकोनॉमिस्ट प्रोफेसर शी जुओशी ने हाल ही में अजीब सुझाव दिया। एक ब्लॉग में उन्होंने लिखा कि दो पुरुषों का एक महिला से शादी कानूनी करार देना चाहिए। दूर-दराज के इलाकों और कई गांवों में लोग ऐसा कर रहे हैं। कई भाई एक ही महिला से शादी कर रहे हैं और वे ऐसा करने के बाद भी अच्छी जिंदगी जी रहे हैं। उन्होंने लिखा, ”देश में गुआनगुन (कुंआरों) की संख्या बढ़ रही है। महिलाओं की कमी के कारण उनकी कीमत बढ़ रही है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मार्केट में एडजस्ट नहीं किया जा सकता। यह दरअसल आय की समस्या से जुड़ा हुआ मामला है। जो धनी हैं या जिनकी इनकम ज्यादा है, उनकी शादी आराम से हो जा रही है। लेकिन कम कमाने वाले लोगों का क्या होगा? ऐसे में, एक ही रास्ता है कि एक ही पत्नी के साथ कई पुरुष अपनी जिंदगी बिताएं।”झेजिंग यूनिवर्सिटी ऑफ फाइनेंस एंड इकोनॉमी में प्रोफेसर जुओशी ने अपने ब्लॉग में लिखा कि अमीर शख्स महिलाओं से शादी कर लेते हैं, क्योंकि उनके पास पैसे हैं, लेकिन गरीब ऐसा नहीं कर पा रहा है। यह ऐसा है ही है जैसे किसी सामान की कमी के चलते उसका दाम बढ़ता है। यह चीन के समाज की हकीकत भी है कि वहां ज्यादातर पुरुष, खासकर गरीब शादी नहीं कर पा रहे हैं। परिवार का साथ नहीं होने के कारण लोगों को बुढ़ापे में भी दिक्कत हो रही है। उनकी इस राय का सोशल मीडिया पर लोगों ने काफी विरोध किया। इसके बाद प्रोफेसर ने अपना ब्लॉग डिलीट कर दिया था।