श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिता हेराथ (Vijitha Herath) ने साफ कहा है कि उनका देश कच्चातीवू द्वीप (Vijitha Herath) को छोड़ने वाला नहीं है। उन्होंने भारत में इस मुद्दे को लेकर चल रही बहस को “राजनीतिक अफवाह” बताते हुए कहा कि यह भारत के अंदर राजनीतिक दलों का आपसी मामला है। श्रीलंका इस पर कोई फैसला नहीं बदलेगा।
हेराथ ने यह बात गुरुवार को एक टीवी चैनल से बातचीत में कही। उन्होंने कहा, “भारत के साथ हमारे राजनयिक रास्ते खुले हैं और बातचीत हो सकती है, लेकिन कच्चातीवू पर हमारा रुख साफ है – श्रीलंका इसे नहीं छोड़ेगा। ये द्वीप अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत श्रीलंका का है।”
भारत के मछुआरों पर समुद्री सीमा के अतिक्रमण का आरोप
यह बयान ऐसे वक्त आया है जब भारतीय मछुआरों की श्रीलंकाई जल क्षेत्र में गिरफ्तारी को लेकर लगातार विवाद हो रहा है। हेराथ ने कहा कि भारतीय मछुआरे अकसर श्रीलंका की समुद्री सीमा में घुसकर वहां के समुद्री संसाधनों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसमें मछलियों के साथ-साथ समुद्री पौधे भी शामिल हैं। उन्होंने दावा किया कि भारत सरकार भी लगातार इस तरह की घुसपैठ का समर्थन नहीं करती।
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में कहा था कि यह विवाद 1975 में आपातकाल के दौरान हुए उस समझौते से शुरू हुआ था, जब भारत ने अपने मछुआरों के कुछ समुद्री अधिकार श्रीलंका को सौंप दिए थे। 1974 और 1976 के बीच हुए दो समझौतों के तहत भारत ने कच्चातीवू द्वीप को श्रीलंका को सौंपा था और दोनों देशों के मछुआरों के लिए एक-दूसरे के विशेष समुद्री इलाकों में मछली पकड़ना प्रतिबंधित कर दिया गया था।
हेराथ ने इस पूरे विवाद को भारत की सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के बीच की राजनीतिक खींचतान बताया। उन्होंने कहा कि कच्चातीवू मुद्दा श्रीलंका की नीति से ज्यादा भारत की अंदरूनी राजनीति का हिस्सा बन गया है।
भारत और श्रीलंका के बीच मछुआरों को लेकर अक्सर टकराव होते रहते हैं। कई बार श्रीलंकाई नौसेना भारतीय मछुआरों पर कार्रवाई कर चुकी है, नौकाएं जब्त की गई हैं, और गोलीबारी की घटनाएं भी सामने आई हैं।