भारत-पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर निर्माण पर विवाद एक बार फिर पैदा हो गया। सरकारी सूत्रों ने बताया कि कॉरिडोर पर निर्माण पर दोनों देशों के बीच इससे पहले भी विवाद हो चुका है, जिसमें पाकिस्तान द्वारा गठित समिति में खालिस्तान समर्थकों और भारत से एक दिन में कम से कम 5,000 तीर्थयात्रियों को अनुमति देने से पाकिस्तान का इनकार भी शामिल है। पाकिस्तान का कहना है कि 700 श्रद्धालु ही गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर का दर्शन कर सकते हैं। इसके अलावा भारत चाहता है कि तीर्थयात्रियों के लिए जीरो लाइन पर ब्रिज का निर्माण किया जाए, जिसका निर्माण कार्य एक तरफ से शुरू भी हो चुका है।

सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान का चाहता है कि ब्रिज निर्माण की जगह पक्की सड़क बनाई जाए। इस पर भारत ने तर्क देकर कहा कि ब्रिज नहीं बनाने से मानूसन के दौरान रावी नदी के ओवरफ्लो होने से भारतीय क्षेत्रों में बाढ़ आ सकती है। कॉरिडोर निर्माण पर 27 मई को अटारी-वाघा बॉर्डर पर दोनों देशों के शीर्ष अधिकारियों के बीच इस मुद्दे पर एक बैठक में चर्चा भी की गई थी। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘हम पाकिस्तान के निचले स्तर पर दिखने वाले रावी नदी के बाढ़ के मैदानों में हैं। ऐसे में जब रावी नदी में बाढ़ आ जाती है, तब पानी हमारी तरफ आता है। बिना ब्रिज के पानी नहीं निकला तो यह हमें बहा ले जाएगा।’

अधिकारी ने आगे कहा कि हमने उन्हें शुरू में ही बता दिया था कि अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का पालन करते हुए हमें क्रॉस ड्रेनेज के साथ एक ऑल वेदर कॉरिडर बनाने की जरुरत है। हमने अपनी चिंताओं को लेकर कई बार अवगत कराया, मगर वो कह रहे हैं कि एक सड़क ही बना सकते हैं। मगर यह काम करने वाला नहीं है।

सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान कह रहा है कि पुल के निर्माण से नवंबर तक डेड लाइन को पूरा नहीं किया जा सकेगा जब दोनों देश पाकिस्तान में गुरुद्वारा बाबा नानक को गुरुद्वारा दरबार साहिब से जोड़ने वाले गलियारे को खोलने की योजना बना रहे हैं। दोनों गुरुद्वारों में करीब 8 किलोमीटर की दूरी है, ऐसे में दोनों देशों ने अपनी तरफ से किमी का निर्माण करने का फैसला किया है।

विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘हमने पाकिस्तान से कहा है कि यदि समय सीमा पूरी करना एक समस्या है, तो हम उनकी सेवा मार्ग के साथ उनके कार्य मार्ग को जोड़ने के लिए एक अस्थाई व्यवस्था पर काम कर सकते हैं। हमने बताया कि हम अपने ब्रिज का निर्माण जारी रखेंगे और पाकिस्तान को गलियारे पर अपनी प्रतिबद्धता रखनी होगी, और बाद में पुल का निर्माण करना होगा।’

सूत्रों ने यह भी बताया कि पाकिस्तान के बजट की कमी भी एक समस्या थी। जबकि भारत ने इस कार्य के लिए 500 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं और पाकिस्तान ने 100 करोड़ रुपए आवंटित किए। दोनों देशों के बीच इस मुद्दों पर मार्च से चार बार मीटिंग भी हो चुकी है। इसमें तीन मीटिंग तकनीकी मुद्दों पर थी जबकि एक मीटिंग टॉप अधिकारियों के बीच हुई।