Justin Trudeau Resigns: कनाडा में सियासी तौर पर एक बड़ा उलटफेर हुआ है। भारत विरोधी रुख अपनाने वाले जस्टिन ट्रूडो ने आज आखिरकार कनाडा के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्हें अपनी ही पार्टी के अंदर राजनीतिक विरोध का सामना करना पड़ रहा है। वे कनाडा की राजनीति में लगातार अलोकप्रिय होते जा रहे थे।

जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे की बड़ी वजह यह थी, कि वे विपक्षियों के अलावा अपनी पार्टी में ही भारी असंतोष का सामना कर रहे थे। उन्होंने न केवल पीएम पद से इस्तीफा दिया है बल्कि लिबरल पार्टी के नेता का पद भी छोड़ दिया है।

कनाडा में समय से पहले भी हो सकते हैं चुनाव

जस्टिन ट्रूडो नै सोमवार को देश को संबोधित करके पद छोड़ने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा किमैं लिबरल पार्टी के नेता और PM पद छोड़ने का ऐलान करता हूं। मुझे लगता है कि मैं 2025 के इलेक्शन के लिए लिबरल पार्टी की तरफ से अच्छा ऑप्शन नहीं हूं।

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जस्टिन ट्रूडो प्रधानमंत्री के पद पर तब तक बने रहेंगे जब तक उनका उत्तराधिकारी चुन नहीं लिया जाता। ट्रूडो के इस्तीफे के बाद ऐसा माना जा रहा है कि तय समय से पहले चुनाव की मांग हो सकती है।

जस्टिन ट्रूडो ने खुद को बताया फाइटर

कनाडाई नागरिकों को संबोधित करते हुए जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि मेरी तमाम कोशिशों को बाद भी संसद कई महीनों तक पैरालाइज रही, लेकिन मैं एक फाइटर हूं. मुझे मेरे देश कनाडा की फिक्र है और रहेगी। मैं अपने देश की बेहतरी के लिए लड़ता रहा हूं। ये लड़ाई आगे भी जारी रहेगी।

जस्टिन ट्रडो के इस्तीफे का पहले से ही था अनुमान

ऐसा माना जा रहा है कि जस्टिन ट्रूडो का यह कदम संसदीय चुनाव से पहले पार्टी में कुछ स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। ट्रूडो की लिबरल सरकार पहले से ही कमजोर स्थिति में थी, जिसने 2021 में जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली वामपंथी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के समर्थन से सितंबर 2025 तक चलने वाले समझौते के तहत पिछला चुनाव जीता था।

लिबरल पार्टी ने सरकार बनाने के लिए संसदीय बहुमत से बस थोड़ी कम सीटें हासिल की थीं और एनडीपी ने विश्वास प्रस्तावों और बजट वोटों के माध्यम से इसका समर्थन करने पर सहमति व्यक्त की थी। इसके बदले में लिबरल सरकार ने एनडीपी के प्रमुख नीतिगत मुद्दों, जैसे कि फ्री डेंटल ट्रीटमेंट, फार्मा-केयर कानून, तथा बाल देखभाल और श्रमिकों की सुरक्षा के प्रयासों के लिए लड़ने का वादा किया।

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NDP ने ट्रूडो सरकार से वापस लिया था समर्थन

हालांकि, पिछले सितंबर में एनडीपी ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी को प्रभावी ढंग से चुनौती देने में विफल रहने के लिए ट्रूडो की आलोचना की थी। संभावित प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में अपनी दावेदारी पेश करते हुए, जगमीत सिंह ने तब इस निर्णय का बचाव स्वास्थ्य सेवा और अन्य प्रकार की सार्वजनिक-वित्तपोषित सेवाओं में संभावित “रूढ़िवादी कटौती” को चुनौती देने की तैयारी के रूप में किया था।

दक्षिणपंथी लोकलुभावन नेता पियरे पोलीवरे के नेतृत्व में कंजर्वेटिवों को वर्तमान में आगामी संसदीय चुनाव जीतने का अनुमान है। 20 दिसंबर को सिंह ने घोषणा की कि वे लिबरल्स को सत्ता से बाहर करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे, जिससे समय से पहले चुनाव आवश्यक हो जाएंगे।

कई सांसदों ने की थी इस्तीफे की मांग

इससे पहले अक्टूबर में भी करीब दो दर्जन सांसदों ने जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे की मांग करते हुए एक पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। लिबरल्स को ऐतिहासिक रूप से कम अप्रूवल रेटिंग मिली, इप्सोस सर्वेक्षण में इसे 33% रेटिंग दी गई, जबकि कंजर्वेटिव्स को 45% रेटिंग मिली। जस्टिन ट्रूडो की खुद की अप्रूवल रेटिंग फरवरी 2021 में 54% से अक्टूबर 2024 में 26% के सर्वकालिक निम्न स्तर पर पहुंच गई।

लेडी माउंटबेटन एडविना और पंडित नेहरू का रिश्ता

हाल के वर्षों में लिबरल पार्टी ने बढ़ती राजनीतिक विभाजनकारीता और मुद्रास्फीति के दबावों की अध्यक्षता की है। विवाद का एक मुख्य मुद्दा आवास संकट का बढ़ना रहा है, जिसकी विशेषता घरों की बढ़ती कीमतें और बेघरों की बढ़ती संख्या है। 16 दिसंबर को ट्रूडो की भरोसेमंद डिप्टी और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने संसद में अपने निर्धारित शरदकालीन आर्थिक अपडेट से कुछ घंटे पहले पद से इस्तीफा दे दिया।

वित्त मंत्री ने भी दिया था इस्तीफा

अपने त्यागपत्र में फ्रीलैंड ने कहा कि प्रधानमंत्री अब नहीं चाहते कि वह वित्त मंत्री के रूप में काम करें और उन्हें एक अलग कैबिनेट पद की पेशकश की थी। उनका इस्तीफा मौजूदा कैबिनेट में बड़े पैमाने पर पलायन का नवीनतम उदाहरण है, जिसमें हाल के महीनों में आठ मंत्री बाहर हो चुके हैं। इस महीने के अंत में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद, अमेरिका से आने वाले आर्थिक संरक्षणवाद के दुष्परिणामों से निपटने में ट्रूडो की क्षमता के बारे में भी व्यापक चिंता व्यक्त की गई है।

कनाडा में अब आगे क्या होगा?

प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रूडो ने घोषणा की कि संसद को 24 मार्च तक स्थगित कर दिया जाएगा। यह उपाय संसद को तत्काल भंग किए बिना प्रभावी रूप से निलंबित कर देता है। ट्रूडो ने मौजूदा सरकारी नीति को जारी रखने और अविश्वास मत को दरकिनार करने के हित में ऐसा करने का फैसला किया हो सकता है। उन्होंने तत्काल चुनाव न कराने के अपने निर्णय को उचित ठहराते हुए कहा कि पिछले कई महीनों से जारी “बाधा, व्यवधान और उत्पादकता की कमी” के बीच अब समय आ गया है कि संसद को पुनः स्थापित किया जाए। कनाडा से जुड़ी अन्य सभी खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।