आजाद कश्मीर के लिए हिंसक अभियान का नेतृत्व करने वाले जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के संस्थापकों में शामिल अमानुल्लाह का आज पाकिस्तान में निधन हो गया। वह बीते तीन दशक से इसी देश में रह रहा था। वह वर्ष 1980 के दशक के बीच में ब्रिटेन में एक भारतीय राजनयिक की हत्या और लाहौर में इंडियन एयरलाइंस के एक विमान के अपहरण सहित कई हिंसक अभियानों में शामिल रहा। 80 वर्षीय खान को फेफड़ों से संबंधित बीमारी के कारण स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं होने के बाद रावलपिंडी के एक अस्पताल में तीन हफ्ते पहले भर्ती कराया गया था।
वर्ष 1986 में पाकिस्तान भेजे जाने से पहले लंदन में रहे इस प्रमुख कश्मीरी नेता के बारे में माना जाता है कि उसने 1984 में बर्मिंघम में भारतीय वाणिज्य दूतावास में नंबर दो रवींद्र महात्रे की हत्या की साजिश रची थी। संगठन के संस्थापक मकबूल भट की जेल से रिहाई कराने के प्रयास में महात्रे का अपहरण और उनकी हत्या की गई थी। भट को वर्ष 1984 में तिहाड़ जेल में फांसी पर लटकाया गया था। वर्ष 1971 में भट पर लाहौर में एक यात्री विमान के अपहरण की साजिश रचने का आरोप लगा और अपहरण करने वालों ने भट के नेतृत्व में जेकेएलएफ से संबंध की घोषणा की थी। पाकिस्तान में गिरफ्तारी और रिहाई के बाद भट ने भारत में घुसपैठ की जहां उसे जल्द ही पकड़ लिया गया था।
खान का जन्म कश्मीर के गिलगिट क्षेत्र के अश्तोरे में हुआ था जो अब गिलगिट बाल्टिस्तान नाम से जाना जाता है। रावलपिंडी के ऐतिहासिक लियाकत बाग पार्क में कल उसके लिए नमाज पढी जाएगी। यह साफ नहीं है कि उसे सुपुर्द ए खाक कहां किया जाएगा। खान के परिवार में केवल एक बेटी आस्मा है जिनकी कश्मीरी अलगाववादी नेता सज्जाद गनी लोन से शादी हुई है। अब तक स्थानीय मीडिया में उसके निधन की कोई खबर नहीं है। पाकिस्तानी नेताओं द्वारा ऐसे मौकों पर दिये जाने वाले शोक संदेशों को लेकर भी रहस्यमयी शांति है। इसका कारण यह हो सकता है कि खान को पाकिस्तान की नजर में सही नहीं माना जाता है क्योंकि उसने कश्मीर पर आधिकारिक नीति का पालन करने से इंकार कर दिया था।