जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया है। आबे ने इस्तीफा देते हुए कहा कि वे अपनी बीमारी को अपने निर्णय लेने की क्षमता के बीच में नहीं आने देना चाहते। उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा न कर पाने के लिए जापानी नागरिकों से माफी भी मांगी। बता दें कि शिंजो आबे जापान के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे हैं। उनका मौजूदा कार्यकाल 2012 से शुरू हुआ था और पिछले 8 साल से वे लगातार चुनाव जीतकर इस पद पर थे।
इससे पहले साल 2006 से 2007 तक भी जापान के प्रधानमंत्री रहे थे। हालांकि, 2007 में भी उन्होंने बीमारी के चलते ही पद से इस्तीफा दिया था। 65 साल के आबे पिछले कई सालों से अल्सरेटिव कोलाइटिस से जूझ रहे हैं। उन्होंने हाल ही में बताया था कि युवावस्था से ही वे इस बीमारी से परेशान हैं और अब उनकी परेशानी काफी बढ़ गई है।
भारत के साथ रिश्तों पर हमेशा दिया जोर
शिंजो आबे को जापान में विदेश नीति का विशेषज्ञ भी कहा जाता है। बीते कुछ सालों में उन्होंने भारत के साथ जापान के रिश्तों पर काफी जोर दिया। ये आबे ही थे, जिन्होंने 2007 में अमेरिका, भारत और ऑस्ट्रेलियाके बीच समुद्री युद्धाभ्यास के लिए क्वाड समझौते की शुरुआत कराई थी। 2014 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें गणतंत्र दिवस परेड में बतौर प्रमुख अतिथि बुलाया। वे परेड में शामिल होने वाले पहले जापानी पीएम थे।
पीएम मोदी से निभाई गहरी दोस्ती
2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद शिंजो आबे की उनसे अच्छी दोस्ती रही। इसी बीच यह सामने आया था कि आबे पीएम मोदी के तबसे दोस्त रहे हैं, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। यह भी सामने आया था कि पीएम मोदी उन तीन वैश्विक नेताओं में से हैं, जिन्हें शिंजो आबे ट्विटर पर फॉलो करते हैं। मोदी ने पीएम बनने के बाद 2014 में ही जापान का दौरा किया था। अगले साल यानी दिसंबर 2015 में आबे ने भारत दौरा किया था। यहां वे मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में दशश्वमेघ घाट पर गंगा आरती में भी शामिल हुए थे।
जापान में अब आगे क्या?
शिंजो आबे को हमेशा अपने मजबूत नेतृत्व और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए भी जाना जाता था। अपनी मजबूत आर्थिक नीतियों की वजह से जापान में आबे की नीतियों को आबेनॉमिक्स के नाम से जाना जाता है। अब उनके इस्तीफे के बाद साफ नहीं है कि कैबिनेट का कौन सा नेता उनकी जगह लेगा। कानून के मुताबिक आबे की गौरमौजूदगी में कार्यकारी प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाएगा। माना जा रहा है कि फिलहाल डिप्टी पीएम तारो आसो आबे की जगह लेंगे। आसो इस वक्त जापान के वित्त मंत्री भी हैं। इसके अलावा कैबिनेट मंत्री योशिहिदे सुगा भी पीएम पद के दावेदार हैं।

