कई जापानी सांसद जापान के सैन्य एवं औपनिवेशिक इतिहास से जुड़े तोक्यो युद्ध स्मारक गए। उनके इस कदम से चीन और दक्षिण कोरिया की भौंहे निश्चित ही तन जाएंगी। राजधानी में युसुकुनी युद्ध स्मारक की स्थापना लाखों मृत जापानियों के सम्मान में बनाया गया है। इनमें वे वरिष्ठ सैन्य एवं राजनीतिक लोग भी शामिल हैं जिन्हें द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद युद्ध अपराधों का दोषी ठहराया गया है।
20वीं सदी के पहले भाग में जापान के उपनिवेशवाद और आक्रामकता के कारण पीड़ित हुए देश दशकों से इस स्मारक की निंदा करते आ रहे हैं। प्रधानमंत्रियों समेत वरिष्ठ जापानी नेताओं के स्मारक जाने पर चीन और दक्षिण कोरिया नाराजगी जताता रहा है। चीन और दक्षिण कोरिया इस स्मारक को जापान के सैन्यवादी अतीत के प्रतीक के तौर पर देखते हैं। ऊपरी सदन के सदस्य तोशेई मिजुओची के लिए काम करने वाले अधिकारी ने बताया, ‘हम अब भी उन सांसदों की संख्या की गणना कर रहे हैं जो हाल में स्मारक से लौटे हैं। यह संख्या 100 का आंकड़ा संभवत: पार कर जाएगी।’
यह तत्काल पता नहीं चल पाया है कि स्मारक जाने वाले सांसदों में कितने सांसद प्रधानमंत्री शिंजो आबे की सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य हैं। क्योदो संवाद समिति के अनुसार आबे की कैबिनेट का कोई सदस्य युद्ध स्मारक नहीं गया।