विवादित पूर्वी चीन सागर द्वीपसमूह के पास समुद्र क्षेत्र में बुधवार (8 जून) देर रात पहली बार एक चीनी नौसेना जहाज गुजरा जिसपर विरोध जताते हुए जापान ने चीन के राजदूत को तलब किया। जापान सरकार ने यह जानकारी दी। स्थानीय मीडिया के अनुसार, उसी वक्त रूसी नौसेना के जहाजों को भी उस क्षेत्र में देखा गया। जापान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में बताया, ‘स्थानीय समयानुसार देर रात 12 बजकर 50 मिनट पर एक चीनी नौसेना जहाज ने सेनकाकू द्वीपसमूह के समीप हमारे देश के समुद्र क्षेत्र में प्रवेश किया।’

इस निर्जन द्वीप पर जापान का शासन है, जबकि चीन भी इस पर अपना दावा पेश करता है और उसने इस द्वीपसमूह को दियायोयू द्वीपसमूह का नाम दिया है। कुछ द्वीपसमूहों को ‘राष्ट्रीयकृत’ करने के बाद 2012 में जापान और चीन के रिश्तों में खटास आ गई थी। तब से एशिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने अपनी कटुता खत्म करने के लिए क्रमिक कदम उठाए हैं, बहरहाल संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं।

इस पर विरोध जताने के लिए जापान के उप विदेश मंत्री अकिताका सैकी ने देर रात करीब दो बजे चीनी राजदूत चेंग योंगहुआ को तलब किया। मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘सैकी ने गंभीर चिंता जताई और जहाज को तत्काल अपने देश की सीमा से सटे क्षेत्र को छोड़ने की मांग की।’

बहरहाल, इस पर टिप्पणी देने के लिए जापान के राजनयिक और रक्ष अधिकारी तत्काल उपलब्ध नहीं हो सके। क्योदो समाचार एजेंसी ने अज्ञात सूत्र का हवाला देते हुए बताया कि सैकी के साथ बैठक के दौरान चेंग ने दावा किया कि उस समुद्र क्षेत्र में चीनी जहाज को यात्रा की इजाजत है। क्योदो एवं सरकारी प्रसारक एनएचके सहित जापान के प्रमुख मीडिया के मुताबिक जहाज देर रात करीब तीन बजकर 10 मिनट पर रवाना हो गया।

चीनी तटरक्षक पोत विवादित द्वीपसमूह के आस पास नियमित रूप से यात्रा करते हैं, लेकिन कथित रूप से यह पहला मौका है जब चीनी नौसेना के जहाज को वहां देखा गया है। जापान की मीडिया के अनुसार, उसी वक्त विवादित द्वीपसमूह के आस पास के समुद्री क्षेत्र में तीन रूसी सैन्य जहाजों को भी देखा गया। समाचार संस्था जिजी प्रेस के मुताबिक, रूसी नौसेना जहाजों ने बुधवार (8 जून) रात करीब नौ बजकर पांच मिनट पर प्रवेश किया और देर रात करीब तीन बजकर पांच मिनट पर रवाना हुए।