पिछले कई महीनों से युद्धरत इजरायल और लेबनान के हिज्बुल्लाह के बीच सीजफायर को लेकर समझौता हो गया है। दोनों ने अमेरिकी मध्यस्थता वाले शांति समझौते को स्वीकार कर लिया है जिसे दोनों पक्षों के बीच दुश्मनी की स्थायी समाप्ति के उद्देश्य से तैयार किया गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने इजरायल और हिज्बुल्लाह के बीच हुए युद्धविराम समझौते की घोषणा करते हुए इसे अच्छी खबर बताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि 13 महीने से अधिक समय से जारी लड़ाई में विराम गाजा में युद्ध को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।

क्या हैं युद्ध विराम की शर्तें?

इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच युद्ध विराम समझौते में 60 दिनों के लिए लड़ाई रोकने का प्रावधान है, जिसके दौरान हिजबुल्लाह आतंकवादी समूह को इजरायल-लेबनान सीमा से लगभग 40 किलोमीटर पीछे हटना है जबकि इजरायली सेना को लेबनानी क्षेत्र से पूरी तरह से हट जाना है।

अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, हिजबुल्लाह लड़ाकों के पीछे हटने के बाद, इस क्षेत्र की सुरक्षा लेबनानी सशस्त्र बलों द्वारा की जाएगी, जो अंततः यह सुनिश्चित करेंगे कि हिजबुल्लाह समूह के सभी हथियार और गोला-बारूद को साइट से हटा दिया जाए और क्षेत्र में उनका पुनर्निर्माण न हो ।

युद्ध विराम समझौते के अनुसार, लेबनान की सेना दक्षिणी क्षेत्र में लगभग 5000 सैनिकों को तैनात करेगी। समझौते में यह भी कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र शांति सेना, लेबनानी सेना और हिजबुल्लाह समूह पर नज़र रखेगी और उसकी निगरानी करेगी।

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युद्ध विराम समझौते पर क्या बोले इजरायल और हिजबुल्लाह?

इजरायल ने अमेरिका द्वारा मध्यस्थता किए गए युद्ध विराम समझौते पर सहमति व्यक्त की। उसके सुरक्षा मंत्रिमंडल ने 10-1 मतों से समझौते को मंजूरी दी और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा कि इजरायल इस प्रक्रिया में अमेरिका के योगदान की सराहना करता है और अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी खतरे के खिलाफ कार्रवाई करने के अपने अधिकार को बनाए रखता है।”

हालांकि नेतन्याहू ने जोर देकर कहा कि इजरायल को सैन्य कार्रवाई की पूरी आजादी है। इजरायली प्रधानमंत्री ने कहा, “अगर हिजबुल्लाह समझौते का उल्लंघन करता है और खुद को हथियारबंद करने की कोशिश करता है, तो हम हमला करेंगे।”

लेबनान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री नजीब मिकाती ने युद्ध विराम का स्वागत किया और इस समझौते को क्षेत्र में स्थिरता प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। हिजबुल्लाह ने कहा कि वह भी प्रस्ताव को स्वीकार करता है और राजनीतिक परिषद के उसके उपाध्यक्ष महमूद कामाती ने अल जजीरा से कहा कि “हम निश्चित रूप से आक्रामकता का अंत चाहते हैं, लेकिन राज्य की संप्रभुता की कीमत पर नहीं। संप्रभुता के किसी भी उल्लंघन से इनकार किया जाता है।”

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नेतन्याहू ने युद्ध विराम के लिए तीन कारण गिनाए

प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा कि इजरायली सेना को ईरानी खतरे पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, लेकिन उन्होंने इसका कारण बताने से परहेज किया। दूसरे कारण में नेतन्याहू ने कहा कि इजरायली सेना को राहत की जरूरत है और स्टॉक को फिर से भरना चाहिए।

इस पर विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, “यह कोई रहस्य नहीं है कि हथियारों और युद्ध सामग्री की डिलीवरी में बड़ी देरी हुई है। ये देरी जल्द ही हल हो जाएगी। हमें उन्नत हथियारों की आपूर्ति मिलेगी जो हमारे सैनिकों को सुरक्षित रखेगी और हमें अपना मिशन पूरा करने के लिए अधिक स्ट्राइक फोर्स देगी। तीसरा कारण बताते हुए नेतन्याहू ने कहा कि हिजबुल्लाह के साथ युद्ध विराम भी हमास को अलग-थलग करने की एक रणनीति है। उन्होंने आगे कहा, “युद्ध के दूसरे दिन से ही हमास को उम्मीद थी कि हिजबुल्लाह उसके साथ लड़ेगा। हिजबुल्लाह के बाहर होने के बाद हमास अपने हाल पर ही रह गया है।”

युद्ध विराम पर क्या बोले दुनिया के बड़े नेता?

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने लेबनान में इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच युद्ध विराम की घोषणा का स्वागत किया है और आशा जताई कि इससे दोनों देशों में हिंसा और लोगों की पीड़ा समाप्त हो सकेगी।

यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इजरायल और हिजबुल्लाह से समझौते के तहत सभी प्रतिबद्धताओं को तेजी से लागू करने और 2006 के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को पूरी तरह से लागू करने की दिशा में तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया। UN प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि लेबनान के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष समन्वयक जीनिन हेनिस-प्लास्चर्ट और दक्षिणी लेबनान में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना दोनों अपने-अपने अधिदेशों के अनुरूप इस समझौते के कार्यान्वयन का समर्थन करने के लिए तैयार हैं।

युद्ध विराम की शर्तों को तोड़ने पर क्या होगा?

जो बाइडन ने मंगलवार को व्हाइट हाउस में अपने संबोधन में युद्ध विराम पर कहा कि अगर हिज्बुल्लाह युद्ध विराम की शर्तों को तोड़ता है तो इजरायल को लेबनान में तुरंत सैन्य अभियान फिर से शुरू करने का अधिकार है। इजरायल के सुरक्षा मंत्रिमंडल द्वारा समझौते को मंजूरी देने के तुरंत बाद बाइडन ने मंगलवार को व्हाइट हाउस से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि संघर्ष विराम के तहत, इजरायल अगले 60 दिनों में धीरे-धीरे लेबनान से अपने सैनिकों को वापस बुला लेगा। रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सुरक्षा मंत्रिमंडल के समक्ष एक समझौता प्रस्तुत किया था।

जो बाइडेन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एक संयुक्त बयान में कहा, “युद्धविराम समझौता स्थायी शांति बहाल करने में मदद करेगा और दोनों देशों के निवासियों को ब्लू लाइन के दोनों ओर अपने घरों में सुरक्षित लौटने की अनुमति देगा।” ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच युद्ध विराम का स्वागत किया और एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि युद्ध विराम लंबे समय से लंबित था और यह लेबनान और उत्तरी इजरायल की नागरिक आबादी को कुछ हद तक राहत प्रदान करेगा, जिन्होंने विनाशकारी संघर्ष और रक्तपात के पिछले कुछ महीनों के दौरान अकल्पनीय परिणाम भुगते हैं। जानें कैसे हुआ इजरायल और लेबनान के बीच हुआ सीजफायर का समझौता