दुर्दांत आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट रसायन बमों एवं आत्मघाती वेस्ट समेत नयी पीढ़ी के घातक विस्फोटकों को तैयार करने के लिए इराक के मोसूल विश्वविद्यालय की संपन्न रसायनशास्त्र प्रयोगशाला का इस्तेमाल कर रहा है। द वाल स्ट्रीट जर्नल ने अमेरिकी और इराकी सैन्य अधिकारियों के हवाले से खबर दी है कि इस्लामिक स्टेट विस्फोटक उपकरणों को बनाने और आतंकवादियों को उन्हें बनाने का प्रशिक्षण देने के लिए पिछले साल से रसायनशास्त्र की इस प्रयोगशाला का इस्तेमाल कर रहा है।
इराक के शीर्ष विस्फोटक अधिकारी जनरल हातिम मागसोसी के हवाले से इसमें कहा गया है कि मोसूल विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला ने इराक में हमला करने की इस्लामिक स्टेट की क्षमता बढ़ायी है। प्रयोगशाला से बम बनाने की प्रौद्योगिकी अन्यत्र पहुंचती है क्योंकि लड़ाके यह कौशल लेकर अपने गृह देश लौटते हैं। इस खबर में इस्लामिक स्टेट से लोहा ले रहे इराकी सेना के जनरल और अन्य तथा अमेरिका की अगुवाई वाले गठबंधन के एक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि इन हथियारों में पेरोक्साइड आधारित रसायन बम तथा ब्रशेल्स हमले और पेरिस हमले में उपयोग में लाए गए आत्मघाती बेल्ट जैसे उपकरण शामिल हैं।
मागसोसी ने बताया कि इस प्रयोगशाला में बने अन्य बमों में नाइट्रेट आधारित विस्फोटक और रसायनिक हथियार शामिल हैं। जनरल ने कहा कि मोसूल विश्वविद्यालय दुनिया में सबसे अच्छा इस्लामिक स्टेट अनुसंधान केंद्र है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रशिक्षु रक्का जाते और वर्तमान सुविधाओं का इस्तेमाल करने के लिए फिर मोसूल विश्वविद्याल जाते हैं।’’ वर्ष 2014 के ग्रीष्मकाल में जब इस्लामिक स्टेट ने मोसूल पर कब्जा किया था जब उसकी तबाही के केंद्रों में यह विश्वविद्यालय भी एक केंद्र बना।