Bangladesh News: बांग्लादेश की राजनीति में भारी-उथल पुथल मची हुई है। जब से शेख हसीना सरकार का पतन हुआ और मोहम्मद यूनुस ने सत्ता संभाली है तब से लोगों में सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है। इसी बीच रविवार शाम से ही बांग्लादेश में सोशल मीडिया पर खबर फैल रही थी कि वहां पर आपातकाल लगने वाला है। हालांकि, अब गृह सचिव ने पूरी बात बताई है और कहा कि यह महज अफवाह मात्र है। कानून-व्यवस्था पूरी तरह से दुरुस्त है।

ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट, गृह सचिव नसीमुल गनी ने देश में आपातकाल लागू करने की चर्चाओं को महज अफवाह बताकर खारिज कर दिया है। सोमवार को गृह मंत्रालय में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी कोई सूचना नहीं है जिससे पता चले कि कानून-व्यवस्था में कोई गिरावट आने की संभावना है। उन्होंने कहा कि स्थिति अभी भी सरकार के नियंत्रण में है। जब इस बारे में पूछा गया तो सचिव ने कहा, ‘ये सब सिर्फ गपशप और चर्चाएं हैं।’ इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि हम सतर्क है, पुलिस अलर्ट है और हम सभी स्थिरता बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं।

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बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के बयान की क्यों हो रही आलोचना?

गुरुवार को बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस ने कहा कि अंतरिम सरकार शेख हसीना की अवामी लीग पर बैन नहीं लगाएगी। मोहम्मद यूनुस के इस बयान के बाद विवाद बढ़ गया। कई छात्र समूहों और पिछले साल जुलाई के महीने में शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन करने वाले नेताओं ने मोहम्मद यूनुस की तीखी आलोचना की। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश की नई सियासी पार्टी नेशनल सिटिजन पार्टी के दक्षिण ऑर्गेनाइजर हसनत अब्दुल्लाह ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश की सेना भारत के प्रभाव में अवामी लीग को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। हसनत ने एक फ़ेसबुक पोस्ट में लिखा था कि सैन्य नेतृत्व ने 11 मार्च को ढाका कैंटोनमेंट में एक मीटिंग के दौरान रीफाइंड अवामी लीग का प्रस्ताव रखा था।

बांग्लादेश की आर्मी ने भी नेशनल सिटिजन पार्टी के दक्षिण ऑर्गेनाइजर हसनत अब्दुल्लाह के आरोपों का खुलकर जवाब दिया है। आर्मी ने कहा कि यह पूरी तरह से बकवास है और अपरिपक्व टिप्पणी है। हसनत और सरजिस आलम लंबे वक्त से आर्मी चीफ से मुलाकात करना चाहते थे। बांग्लादेश के आर्मी प्रमुख वकार-उज-जमां से हसनत और हसनत और सरजिस की मुलाकात 11 मार्च को ढाका में हुई थी, लेकिन उन्होंने जो दावा किया है। उस पर हंसी आती है। बांग्लादेश में आंदोलन और हिंसा