अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चीन को भरोसा दिलाया है कि उसे भारत और अमेरिका के अच्छे संबंधों से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है लेकिन साथ ही चीन को चेतावनी भी दी कि वह समुद्री मामलों पर वियतनाम या फिलीपीन जैसे छोटे देशों को न डराए।

उन्होंने राष्ट्रपति के तौर पर भारत की अपनी दूसरी अभूतपूर्व यात्रा को लेकर चीन की प्रतिक्रिया पर पहली बार टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘मैंने जब सुना कि चीन सरकार ने इस प्रकार के बयान दिए हैं तो मुझे हैरानी हुई। भारत के साथ हमारे अच्छे संबंधों के कारण चीन को डरने की कोई जरूरत नहीं है।’’

अमेरिका के राष्ट्रपति ने नवंबर में की गई चीन की अपनी यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने अपने चीनी समक्षक शी चिनफिंग के साथ सफल बैठकें की हैं।

चीन की सरकारी मीडिया ने ओबामा की भारत की यात्रा पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि भारत को प्रतिद्वंद्वता के उस जाल में नहीं फंसना चाहिए जो पश्चिम ने अमेरिका की ‘‘एशिया की धुरी’’ रणनीति के समर्थन में बिछाया है जिसका मकसद मुख्य रूप से चीन के उदय को रोकना है।

ओबामा ने सीएनएन के फरीद जकारिया से कहा, ‘‘मेरा मानना है कि इस समय हमारे पास ऐसा फॉर्मूला तैयार करने का मौका है जिससे सभी को फायदा हो। इस फार्मूले के तहत सभी देश समान नियमों एवं मानकों का पालन करें। हमारा ध्यान हमारे लोगों को समृद्ध बनाने पर केंद्रित है लेकिन इस मकसद को हम सब के साथ मिलकर पूरा करना चाहते हैं न कि दूसरों की कीमत पर। प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी के साथ मेरी चर्चाएं इसी पर केंद्रित थीं।’’

अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने लगातार इस बात पर जोर दिया है कि चीन का शांतिपूर्ण विकास अमेरिका के हित में है। ओबामा ने भारत की तीन दिवसीय यात्रा के दौरान नयी दिल्ली में रिकॉर्ड किए गए इस साक्षात्कार में कहा, ‘‘हमारे लिए अस्थिर, आर्थिक रूप से कमजोर और बंटा हुआ चीन खतरा है। यदि चीन विकास कर रहा है तो यह हमारे लिए बेहतर है।’’

उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘लेकिन मैंने अपने कार्यकाल की शुरुआत से ही कहा है कि चीन का विकास दूसरों की कीमत पर नहीं होना चाहिए। उसे नौवहन मुद्दों को लेकर वियतनाम या फिलीपीन जैसे छोटे देशों को डराना नहीं चाहिए बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार इन मुद्दों का शांतिपूर्ण समाधान निकालना चाहिए। उसे व्यापार में अपने फायदे के लिए अपनी मुद्रा की विनिमय दर से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए।’’

ओबामा ने कहा, ‘‘कभी कभी इन मुद्दों पर चीन से प्रतिक्रिया लेने में हम सफल रहे हैं। बहरहाल, मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि हमारे बीच रचनात्मक संबंध बने रहें।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कोई शक नहीं है कि भारत के कई पहलू हमें उसके करीब लाते हैं। विशेष तौर पर, वहां लोकतंत्र है और वह एक तरीके से हमारे अपने देश के कुछ मूल्यों और महत्वाकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करता है जो चीन नहीं कर सकता इसलिए मुझे निजी तौर पर लगता है कि वहां एक समानता है और मेरे विचार से, अमेरिका के लोग भी ऐसा ही सोचते हैं।’’