रूस के मॉस्को में गगनयान मिशन के लिए ट्रेनिंग के लिए गए भारतीय वायुसेना के चारों पायलट फिलहाल वहां लगे लॉकडाउन की वजह से अपने घरों में ही रहने को मजबूर हैं। इन सभी लोगों की ट्रेनिंग दो महीने पहले यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में शुरू हुई थी। हालांकि, कोरोनावायरस के बढ़ते खतरे के मद्देनजर ट्रेनिंग को रोक दिया गया है। रूस अब एशिया में संक्रमण का नया केंद्र बन कर उभर रहा है। यहां अब तक कोरोनावायरस के 1 लाख केस सामने आ चुके हैं। वहीं 972 लोगों की मौत हुई है।
गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में ग्लावकोस्मोस कंपनी के अधिकारी दिमित्री लोसकुतोव ने बताया कि भारत से ट्रेनिंग के लिए आए चारों एस्ट्रोनॉट्स का स्वास्थय बेहतरीन है। सेंटर की प्रोफेशनल मेडिकल एक्सपर्ट्स की टीम सभी पर नजर रख रही है। ग्लावकोस्मोस रूस की सरकारी स्पेस बिजनेस कंपनी है। इसी कंपनी ने जून 2019 में भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को ट्रेनिंग देने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के साथ करार किया था।
लोसकुतोव ने बताया कि एस्ट्रोनॉट के लिए चुने गए वायुसैनिकों के साथ-साथ गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (GCTC) के कर्मचारियों के लिए लॉकडाउन का पालन करना बेहद जरूरी है। देश में महामारी के हालात की समीक्षा के बाद ही फुल स्केल ट्रेनिंग पर लौटने के बारे में विचार किया जाएगा। गौरतलब है कि रूस में पीड़ितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 30 अप्रैल तक लॉकडाउन का ऐलान किया था। इसी हफ्ते उन्होंने लॉकडाउन 11 मई तक बढ़ा दिया है।
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GCTC हाल ही में पहली बार चर्चा में तब आया, जब एक डॉक्टर नतालया लेबेदेवा स्टार सिटी में कोरोना से संक्रमित पाई गईं। उनकी पिछले हफ्ते अस्पताल की खिड़की से गिरने के बाद मौत हो गई थी। लेबेदेवा स्टार सिटी में इमरजेंसी मेडिसिन की प्रमुख थीं। उन्होंने जीसीटीसी के एक प्रमुख अफसर का इलाज किया था।
ट्रेनिंग का एक-चौथाई हिस्सा पूरा कर चुके थे एस्ट्रोनॉट्स: भारत से रूस पहुंचे सभी एस्ट्रोनॉट्स ने सालभर लंबी चलने वाली ट्रेनिंग फरवरी में ही शुरू कर दी थी। लोस्कुतोव के मुताबिक, सभी पायलट अपनी ट्रेनिंग का एक-चौथाई हिस्सा पूरा कर चुके हैं। उनका अब तक का शेड्यूल बेहतर ढंग से चला है। सभी ने मैन्ड स्पेसक्राफ्ट के बारे में लिए गए एग्जाम को पा कर लिया है। वे अब स्पेसक्राफ्ट फ्लाइट थ्योरी पर एग्जाम देने वाले थे। इमरजेंसी की स्थिति को हैंडल करने की उनकी ट्रेनिंग अभी बाकी है। इन चार एस्ट्रोनॉट्स के अलावा भारत से एक फ्लाइट सर्जन और एक इसरो के अधिकारी भी इस वक्त रूस में ही हैं।
गौरतलब है कि अगस्त 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि भारत 2022 के करीब अपना पहला स्पेसक्राफ्ट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) में भेजेगा। इस मिशन का नाम गगनयान रखा गया था। 3 एस्ट्रोनॉट्स के क्रू को जीएसएलवी एमके-3 के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा