परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की दावेदारी प्रयासों को बाधित कर रहा चीन आज भी इस मुद्दे को लेकर अपने कड़े रवैये पर कायम रहा तथा 48 सदस्यां वाले इस विशिष्ट समूह में गैर एनपीटी सदस्यों को प्रवेश के लिए दो कदमों वाले गैर भेदभावकारी समाधान के लिए कहा। चीन की टिप्पणी ऐसे समय में आयी है जब परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की वियना में 11 नवंबर को हुई बैठक भारत के आवेदन पर कार्रवाई करने के लिए फॉर्मूले में विचार विमर्श किया गया। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने वियना बैठक के बारे में चीन के रुख के बारे में जानकारी देते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘हम इस बात पर कायम हैं कि हमें दो चरणों वाला रुख अपनाना चाहिए। पहले हमें एक हल निकालना चाहिए जो सभी गैर एनपीटी सदस्यों के आवेदन पर लागू हो और यह काम विचार विमर्श और चर्चा के जरिये होना चाहिए।’
दूसरा चरण है कि विशिष्ट गैर एनपीटी सदस्यों के एनएसजी में प्रवेश पर विचार विमर्श किया जाए। उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि समाधान गैर भेदभावकारी हो तथा सभी गैर भेदभावकारी एनपीटी सदस्यों पर लागू हो। इसे एनएसजी के मूलभूत मूल्यों तथा एनपीटी के प्राधिकार, प्रभावी क्षमता और गंभीरता को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।’ चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमें उम्मीद करनी चाहिए कि हम जल्द ही पहला चरण पूरा कर दूसरे चरण में प्रवेश करेंगे जो विशिष्ट गैर एनपीटी सदस्यों के एनएसजी में शामिल करने के बारे में चर्चा को लेकर है।’ गैर भेदभावकारी अर्हता के बारे में चीन का रख महत्वपूर्ण है क्योंकि बीजिंग के नजदीकी सहयोगी पाकिस्तान ने भी भारत के साथ एनएसजी सदस्यता के लिए आवेदन कर रखा है।
चीन ने भारत के प्रवेश को इस आधार पर बाधित किया था कि उसने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। चीन ने इस समूह में प्रवेश को लेकर भारत एवं पाकिस्तान के साथ दो दौर की बातचीत की है। पाकिस्तान की तुलना में भारत को उसके अप्रसार रिकॉर्ड के कारण अमेरिका तथा अधिकतर एनएसजी सदस्यों का समर्थन हासिल है। पाकिस्तान पर पूर्व में परमाणु अप्रसार को लेकर गंभीर आरोप लग चुके हैं विशेषकर उसके परमाणु वैज्ञानिक डा. ए क्यू खान को लेकर। गेंग ने कहा कि वियना बैठक में एनएसजी सदस्यों ने एनएसजी में गैर एनपीटी सदस्यों के प्रवेश को लेकर तकनीकी, कानूनी एवं राजनीतिक मामलों पर चर्चा की।