प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्षद्वीप दौरा क्या हुआ, मालदीव को मिर्ची लग गई। चीन की शह पर आए दिन भारत के खिलाफ मालदीव से विवादित बयान आते रहे हैं। अब एक बार फिर भारतीय कोस्ट गार्ड्स को लेकर मालदीव के प्रधानमंत्री मोहम्मद मोइज्जू ने आपत्ति जाहिर की है। मालदीव का आरोप है कि भारतीय कोस्ट गार्ड्स हाल ही में मछली पकड़ने वाले मालदीव के जहाज पर चढ़ गए थे। इसको लेकर अब मालदीव सरकार ने भारत सरकार से जानकारी मांगी है और पूछा है कि आखिर भारतीय कोस्ट गार्ड्स क्यों मालदीव के जहाजों पर चढ़ गए?

बता दें कि मालदीव में जब से मोहम्मद मोइज्जू की सरकार आई है, तब से ही मालदीव और भारत के बीच टकराव की स्थिति है। मोइज्जू ने चुनावी कैंपेन के दौरान ही ‘India Out’ का नारा दिया था। यह बताता है कि मोइज्जू किस हद तक भारत की खिलाफत करते रहे हैं। यह भी कहा जाता है कि मोइज्जू चीन के समर्थक हैं। मालदीव में वर्तमान विपक्षी दल भी यह मुद्दा उठाते रहे हैं, बल्कि विपक्षी दल ने भारत के साथ खराब हो रहे मालदीव के रिश्तों को लेकर सवाल भी उठाए थे।

इन सभी विवादों के बीच अब एक बार फिर मालदीव के प्रधानमंत्री ने भारत के खिलाफ भारतीय कोस्ट गार्ड्स को लेकर आक्रामक बयान दिया है। भले ही मोइज्जू की सरकार ने भारत सरकार से जवाब मांगा हो, लेकिन अभी तक भारत की तरफ से इसको लेकर कोई बयान नहीं आया है। मालदीव के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया था कि भारतीय कोस्ट गार्ड्स ने उसके स्पेशल इकॉनमिक एरिया में मछली पकड़ने वाले तीन जहाजों को रोक लिया था, और उन पर चढ़ गए थे। मालदीव ने इसे सीधे तौर पर अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है।

जिनपिंग से की थी मुलाकात

बता दें कि हाल ही में मालदीव के पीएम मोइज्जू ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी। मोइज्जू खुद ही चीन दौरे पर गए थे, इसके बाद से ही मालदीव का रुख भारत के लिए खिलाफत वाला हो गया है, और उसने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है। इससे पहले जब मोहम्मद सोलेह को हराकर मोइज्जू मालदीव की सत्ता पर काबिज हुए थे, तो उस दौरान ही उन्होंने भारतीय सेना को लेकर विरोध जाहिर किया था। उन्होंने यह तक कहा था कि उन्हें भारतीय सेना की कोई जरूरत ही नहीं है।

भारत से लगातार बिगड़ रहे मालदीव के रिश्ते

मोइज्जू ने भारत सरकार से कहा था कि भारत 15 मार्च तक अपने 88 सैनिकों को वापस बुला ले, क्योंकि मालदीव की जनता ने उन्हें ऐसा करने के लिए ही जनादेश दिया है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या मोइज्जू चीन के इशारे पर ही काम कर रहे हैं, जबकि चीन लगातार मालदीव को अपने कर्ज जाल में फंसाता जा रहा है। चीन इससे पहले श्रीलंका को भी ऐसे ही कर्जे के जाल में फंसा चुका है। श्रीलंका का हंबनटोटा पोर्ट भी कर्ज न चुका पाने की स्थिति में चीन ने हथिया लिया है। चीन एक तरफ जहां मालदीव को अपने कर्ज के जाल में फंसा रहा है, तो दूसरी ओर वह मालदीव के भारत से रिश्ते खराब करवाने में अहम भूमिका निभा रहा है, जो कि मालदीव के लिए बड़ी मुसीबतें खड़ी कर सकता है।