भारत और चीन दोनों की सेनाएं पीछे हटनी शुरू हो गई हैं। एलएसी एग्रीमेंट के बाद दोनों ही देश की तरफ से यह फैसला लिया गया है। डेमचोक और देपसांग मैदानों से भारत और चीन के सैनिक पीछे हटने की खबर है। विवाद के दौरान सबसे ज्यादा तनाव भी इन्हीं इलाकों को लेकर था, ऐसे में यहां सेनाओं का पीछे हटना एक बड़ी डेवलपमेंट माना जा रहा है।

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जानकारी के लिए बता दें कि कुछ दिन पहले ही भारत और चीन के बीच में कई मुद्दों पर सहमति बनी है। उस सहमति के बाद ही ब्रिक्स समिट में पांच साल बाद पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच में द्विपक्षीय बैठक भी देखने को मिली। यह अलग बात है कि चीन ने अपने जारी बयान में सीमा विवाद का कोई जिक्र नहीं किया, उसने पैट्रोलिंग प्वाइंट्स को लेकर कोई बयान नहीं दिया। दूसरी तरफ पीएम मोदी ने सीमा एग्रीमेंट का खुलकर स्वागत किया और दोनों ही देशों के बीच में बनी आपसी सहमति पर जोर दिया।

चीन की नीयत पर क्यों उठे सवाल?

दूसरी तरफ चीन ने जारी बयान में कहा कि दोनों ही पक्ष कुछ जरूरी मुद्दों पर समाधान खोजने में सफल रहे हैं, चीन इसे सकारात्मक रूप से लेता है। अब अगले चरण में चीन, भारत के साथ मिलकर काम करेगा और अपना सॉल्यूशन प्लान एक्शन में लाएगा। चीन का यही बयान बताने के लिए काफी है कि उसकी करनी और कथनी में फर्क हो सकता है। जानकारों का मानना है कि जब सहमति सीमा विवाद को लेकर बनी है तो उसके बारे में खुलकर चर्चा होना जरूरी है।

इसी वजह से विदेश मंत्री एस जयशंकर को एक बयान में कहना पड़ा कि जिन एग्रीमेंट्स पर सहमति बन चुकी है, दोनों तरफ से उसका सम्मान होना जरूरी है। जोर देकर यहां तक बोला गया कि सभी विवादों को बातचीत और कूटनीति से सुलझाना होगा।