ईरान में लड़कियों को स्कूल जाने से रोकने के लिए कई तरह के हथकंड़े अपनाए जा रहे हैं। इनमें स्कूली लड़कियों को जहर देने का मामला भी सामने आया है, जिसे लेकर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। पिछले तीन महीनों में ईरान के कई स्कूलों में ऐसे मामले देखे गए, जिनमें सैकड़ों लड़कियां अपनी कक्षाओं में हानिकारक धुएं से प्रभावित हुईं। इनमें से कुछ की हालत इतनी ज्यादा बिगड़ गई कि उन्हें अस्पताल जाना पड़ा। ईरान के अधिकारियों ने शुरुआत में इन घटनाओं पर ज्यादा गौर नहीं किया, लेकिन अब ऐसा माना जा रहा है कि जानबूझकर इन घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। स्थानीय मीडिया की खबरों में ऐसे करीब 30 स्कूलों का पता चला है, जहां जहर देने की ऐसी घटनाएं हुई हैं। ऐसी अटकलें हैं कि इन घटनाओं का उद्देश्य आठ करोड़ से ज्यादा आबादी वाले इस देश में लड़कियों को स्कूल जाने से रोकना हो सकता है।
शुरुआत में प्रशासन ने घटनाओं पर नहीं दिया ध्यान
अधिकारियों ने संदिग्धों का नाम नहीं बताया है, लेकिन इस तरह के हमलों से आशंका जताई जा रही है कि लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने से रोकने के लिए जहर देने की घटनाएं हुई हैं। ईरान भी पड़ोसी अफगानिस्तान में तालिबान से लड़कियों और महिलाओं को स्कूल-कॉलेज जाने पर लगी रोक को हटाने का आह्वान करता रहा है। ईरान की राजधानी तेहरान से लगभग 125 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित कोम में नवंबर के अंत में इस तरह का पहला मामला सामने आया था। शिया समुदाय के लिए पवित्र इस शहर में नवंबर में नूर याज्दानशहर कंजर्वेटरी में कुछ छात्र बीमार पड़ गए थे, दिसबंर में उनके फिर से बीमार पड़ने की खबर सामने आई। इन्होंने सिरदर्द, बेचैनी, सुस्ती महसूस करने या चलने-फिरने में असमर्थ होने की शिकायत की थी। कुछ छात्रों ने बताया कि उन्हें क्लोरीन या साफ-सफाई में इस्तेमाल होने वाले रसायनों जैसी गंध आई थी। शुरुआत में प्रशासन ने इन घटनाओं पर ज्यादा गौर नहीं किया और इन्हें आपस में कनेक्ट करके नहीं देखा।
गर्ल्स स्कूल को बनाया गया निशाना
ईरान में सर्दी के दौरान तापमान रात में काफी ज्यादा कम हो जाता है। कई स्कूल कमरों को गर्म रखने के लिए प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया गया कि लड़कियां कार्बन मोनोऑक्साइड के जहर से बीमार पड़ी हैं। शुरुआत में शिक्षा मंत्री ने खबरों को अफवाह बताकर खारिज कर दिया, लेकिन जिन स्कूलों में ये घटनाएं हुई वे सभी गर्ल्स स्कूल थे, जिससे शक हुआ कि ये घटनाएं आकस्मिक नहीं हैं। तेहरान के साथ कोम और बोरुजेर्ड में भी इस तरह की घटनाएं सामने आईं। इसमें लड़कों के एक स्कूल को भी निशाना बनाया गया, जिसके बाद अधिकारियों ने इन घटनाओं को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया।
सरकार ने जताई चिंता
ईरान के महाअभियोजक ने जांच का आदेश देते हुए कहा कि जानबूझकर आपराधिक कृत्यों को अंजाम दिए जाने का शक है। ईरान के खुफिया मंत्रालय ने भी कथित तौर पर जांच की। रविवार को ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी इरना ने कई खबरें प्रसारित की जिसमें अधिकारियों ने संकट के गहराने की बात स्वीकार की। इरना ने उप स्वास्थ्य मंत्री यूनुस पानाही के हवाले से कहा, “कोम के स्कूलों में छात्रों के जहर से प्रभावित होने के बाद यह पाया गया कि कुछ लोग चाहते थे कि सभी स्कूलों, विशेषकर लड़कियों के स्कूलों को बंद कर दिया जाए।” संसद सदस्य और शिक्षा समिति से जुड़े अली रजा मोनादी ने कहा कि जानबूझकर इन घटनाओं को अंजाम दिया गया। मोनादी ने कहा, “लड़कियों को शिक्षा से रोकने का प्रयास कर रही शैतानी ताकतों का अस्तित्व एक गंभीर खतरा है। हमें मामले में तह तक जाने की आवश्यकता है।” जहर से बच्चों के प्रभावित होने के मामले सामने आने के बाद कई अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया जिससे हालिया हफ्ते में कोम में कई स्कूल बंद हो गए।