COP27 : रविवार को मिस्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के दौरान कॉप-27 (COP 27) के सबसे विवादास्पद मुद्दे विकासशील देशों को मुआवजा देने के लिए आपदा फंड के गठन पर सहमति बन गई है। इस दौरान कहा गया कि नुकसान और क्षति कोष (Loss and Damage Fund) जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील देशों को हुए नुकसान की भरपाई करने में मदद करेगा। इस ऐतिहासिक निर्णय की जानकारी COP27 ने एक ट्वीट कर दी है। यह कार्यक्रम मिस्र के शर्म अल-शेख में 6 से 18 नवंबर तक सम्मलेन का आयोजित किया गया था।
ऐतिहासिक निर्णय
भारतीय विशेषज्ञों ने इस फैसले का स्वागत किया है। COP27 ने एक ट्वीट कर लिखा है कि समिट में इतिहास रचा गया है क्योंकि सभी के बीच सहायता के लिए सहमत हो गई है। इस फंड के जरिए जलवायु परिवर्तन की समस्या को दूर करने की कोशिश की जाएगी। यह सौदा बड़े समझौते का हिस्सा है और लगभग 200 देशों के वार्ताकारों ने इसे लेकर मतदान किया है। मिस्र के शर्म अल-शेख में 6 से 18 नवंबर तक सम्मलेन का आयोजित किया गया था। सम्मेलन में जाने से पहले केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा था कि भारत विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद करने के लिए विकसित देशों से जलवायु वित्त प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण के मामले में कार्रवाई की मांग करेगा।
क्यों होती है COP27 समिट
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन में जलवायु परिवर्तन से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा होती है। 190 से अधिक देश जो UNFCCC के सदस्य हैं क्लाइमेट चेंज से निपटने और वैश्विक दृष्टिकोण पर काम करने के लिये वर्ष के अंतिम दो सप्ताह में वार्षिक कॉन्फ्रेंस करते हैं। यह वह प्रक्रिया है जिसने पेरिस समझौते को जन्म दिया है। इसके अलावा इसके पूर्ववर्ती समझौते क्योटो प्रोटोकॉल भी है। यह एक तरह से अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसे जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र का बयान
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि COP27 ने न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मैं नुकसान और क्षति कोष स्थापित करने और आने वाले समय में इसे चालू करने के निर्णय का स्वागत करता हूं। स्पष्ट रूप से यह पर्याप्त नहीं होगा लेकिन टूटे हुए भरोसे के पुनर्निर्माण के लिए यह एक बहुत जरूरी राजनीतिक संकेत है।
