उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने सोमवार (19 सितंबर) को कहा कि उरी में हुआ हमला पूरी तरह अस्वीकार्य है और इस तरह की ‘युक्तियों’ का परिणाम आखिरकार अत्यंत ‘असुखद’ निकलेगा। अंसारी ने 17वें गुट निरपेक्ष आंदोलन शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद वेनेजुएला से लौटते समय संवाददाताओं से कहा, ‘देश में हर किसी का मानना है और मेरा भी मानना है कि यह (उरी में हुआ हमला) पूरी तरह अस्वीकार्य है, पूरी तरह निन्दनीय है और इस तरह की युक्तियों का नतीजा आखिकार अत्यंत असुखद निकलेगा। भारत सरकार जो भी कार्रवाई करेगी, आप उसके बारे में भारत सरकार से सुनेंगे।’
यह कहे जाने पर कि लगातार हो रहे हमलों से भारत के संयम के परीक्षा ली जा रही है, उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं जानता कि संयम शब्द का क्या मतलब है। यदि किसी पर हमला किया जाता है तो हम अपने हिसाब से जवाब देंगे और किस तरह जवाब दिया जाना है, वह देश के अधिकारियों पर निर्भर करता है, लेकिन वहां संयम या सहनशीलता का कोई सवाल नहीं है। कोई भी आतंकवाद को सहन नहीं कर सकता।’
उन्होंने कहा कि कोई भी आतंकवाद का पीड़ित हो सकता है और समूचा मुद्दा यह है कि निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है । ‘अत: कल हममें से कोई भी आतंकवाद का शिकार हो सकता है।’ इससे पहले, एक बयान में उरी हमले की निन्दा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा था कि इस तरह के हमले ‘एक खास देश’ की ओर से सीमा पार से आतंकवाद का इस्तेमाल किए जाने का परिणाम हैं और भारत इस तरह के भड़काऊ कृत्यों से ‘सही तरह से’ निपटेगा ।
रविवार (18 सितंबर) सुबह भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने उत्तरी कश्मीर के उरी शहर में भारतीय सेना के एक बटालियन मुख्यालय पर हमला कर दिया जिसमें 17 जवान शहीद हो गए और 19 अन्य घायल हुए। मुठभेड़ में सभी चारों आतंकवादी ढेर कर दिए गए। संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में भारत की रणनीति के बारे में अंसारी ने कहा, ‘यह हमारे आम रुख का हिस्सा रहा है कि आतंकवाद के सवाल को सभी मंचों पर उठाया जाए।’ उन्होंने कहा, ‘मैं इस बारे में अवगत नहीं हूं कि विदेश मंत्री क्या कहने जा रही हैं, मैंने मूल सार नहीं देखा है लेकिन मुझे यकीन है कि यह एक विषय है जिसे वह महासभा के समक्ष अपने बयान में प्रमुखता से उठाएंगी। और नि:संदेह वहां होगा, आप अनुमान लगा सकते हैं कि दूसरी तरफ से कुछ तरह का द्वेषपूर्ण हमला होगा, उत्तर का अधिकार होगा, जो महासभा की चर्चा में होने वाली एक सामान्य प्रक्रिया है।’ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 26 सितंबर को आम चर्चा को संबोधित करेंगी।
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आतंकवाद को पाकिस्तान के समर्थन पर गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत द्वारा दर्ज कराए गए मजबूत विरोध पर अंसारी ने कहा, ‘एक प्रतिनिधिमंडल ने कुछ कहा जो गुटनिरपेक्ष आंदोलन की परंपरा के विपरीत और विशेष तौर पर हमारे लिए आपत्तिजनक था।’ उन्होंने कहा कि गुटनिरपेक्ष आंदोलन में जवाब देने के अधिकार की परंपरा नहीं है, इसलिए यह सोचा गया कि औपचारिक संदेश में भारत का रुख़ दर्ज कराना सर्वश्रेष्ठ रहेगा जिसके लिए विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने सम्मेलन के अध्यक्ष को संबोधित किया है। गुटनिरपेक्ष आंदोलन शिखर सम्मेलन के बारे में अंसारी ने कहा कि आंदोलन के संस्थापकों के रूप में भारत के लिए यह कुछ संतोष का मामला है कि विश्व के ज्यादातर देशों ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन को आज भी प्रासंगिक पाया है।
अंसारी ने कहा, ‘हां, 1961 में एक अलग एजेंडा था, एजेंडे का मर्म वही रहा है। लेकिन दुनिया बदल गई है और अगले तीन वर्षों के लिए भी एजेंडा तय किया गया है। 1961 में तय किए गए गुटनिरपेक्ष आंदोलन के एजेंडे के मर्म से लक्ष्यों का कहीं कोई टकराव नहीं है। इसलिए यह हित और चिंता के सर्वाधिक वास्तविक मामले की झलक है।’ उन्होंने कहा, ‘जो बिन्दु हमने बनाया और इसे पूरी तरह स्पष्ट किया, वह यह था कि मुख्य मुद्दा सतत विकास है और कोई भी विकास तब तक संभव नहीं है जब तक कि समाजों में शांति की परिस्थितियां न हों, यह पहली बात है। दूसरी बात यह है कि, विकास को प्रत्येक देश के स्वायत्त निर्णय से निर्मित करना होगा। मैं किसी दूसरे देश को हुक्म नहीं दे सकता, न ही कोई दूसरा देश मुझे हुक्म दे सकता है।’
अंसारी ने कहा कि सम्मेलन के तीन बिन्दु…एक त्रय बनाने के हैं जिसमें विकास के लिए सुरक्षा और संप्रभुता अत्यावश्यक जरूरतें हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘उस परिप्रेक्ष्य में हमने उस चिंता के बारे में सवाल को अपने हस्तक्षेप और सम्मेलन के अध्यक्ष के साथ अपनी मुलाकात दोनों में उठाया जो दुनियाभर में व्यक्त की जा रही है और जिसे हम बार-बार व्यक्त कर रहे हैं कि आतंकवाद विश्व में क्या कर रहा है। और यदि आप अंतिम दस्तावेज को पढ़ें तो आप देखेंगे कि इसमें तीन सबसे लंबे उप विषय आतंकवाद से जुड़े हैं, दूसरा सतत विकास लक्ष्य है और तीसरा यह है कि मध्य पूर्व, जिसे हम पश्चिम एशिया कहते हैं, में क्या स्थिति है।’
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘इसलिए मेरा निश्चित तौर पर मानना है कि विकास की राह में आतंकवाद एक अवरोध रहा है और जब मैंने सम्मेलन के अध्यक्ष वेनेजुएला के राष्ट्रपति (निकोलस मादुरो) से मुलाकात की तो उन्होंने इस बिन्दु को अच्छी तरह से लिया तथा उस द्विपक्षीय मुलाकात में इस्तेमाल की गई भाषा को अंतिम दस्तावेज में जगह मिली है। एकतरफा प्रतिबंधों के बारे में गुटनिरपेक्ष आंदोलन की मारगेरिटा घोषणा के एक पैराग्राफ के बारे में पूछे जाने पर अंसारी ने कहा, ‘एक तंत्र है जो सुरक्षा परिषद के जरिए आ रहे प्रतिबंधों की अंतरराष्ट्रीय परिपाटी में स्वीकार्य है क्योंकि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के आम मत को प्रदर्शित करता है । अब इसके अतिरिक्त एकतरफा प्रतिबंध जो हमने देखे हैं, बहुत उपयोगी नहीं हैं, वे भेदभाव करते हैं।’
अंसारी ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति मादुरो, ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी, क्यूबा के राष्ट्रपति राउल कास्त्रो और नेपाल के उपराष्ट्रपति नंद किशोर पुन से हुई उनकी द्विपक्षीय मुलाकात असल में काफी अच्छी रही। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति रूहानी के साथ उनकी बैठक में इस बिन्दु पर जोर दिया गया कि पड़ोसी देश होने के नाते शांति, सुरक्षा और विकास में भारत और ईरान के साझा हित हैं जो सहयोग-आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग दोनों में एक नया अध्याय खोल रहे हैं।