अमेरिका स्थानीय श्रमिकों को प्राथमिकता देने के लिए कदम उठा रहा है, जिससे विदेशी प्रतिभाओं की नियुक्ति पर असर पड़ सकता है। नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी के नए अध्ययन के अनुसार, H-1B वीजा धारकों के लिए न्यूनतम वेतन अनिवार्य करने से अमेरिकी नियोक्ताओं की विदेशी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को नियुक्त करने की क्षमता खतरे में पड़ सकती है। इस मुद्दे पर कांग्रेस में बहस होने की संभावना है।
नए प्रस्ताव से विदेशी पेशेवरों के लिए बढ़ेंगी मुश्किलें
प्रस्ताव के तहत अमेरिकी नियोक्ताओं को H-1B पेशेवरों को बाजार वेतन से अधिक भुगतान करना होगा, जिसमें “मध्यम स्थानीय वेतन” मानक को अनिवार्य किया गया है। यह बदलाव अत्यधिक कुशल विदेशी नागरिकों की भर्ती में बाधा बन सकता है और कई अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अमेरिका आने से रोक सकता है।
यदि कांग्रेस इस साल कानूनी आव्रजन सुधारों पर विचार करती है, तो यह मुद्दा अहम हो सकता है। हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी के अध्यक्ष जिम जॉर्डन ने इस पर चर्चा की संभावना जताई है। जनवरी 2025 में, सीनेटर बर्नी सैंडर्स (I-VT) ने लैकेन रिले अधिनियम में संशोधन प्रस्तावित किया था, जिसका उद्देश्य सीमित कार्य अनुभव वाले हालिया विदेशी स्नातकों को अमेरिकी श्रम बाजार से बाहर रखना था।
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अगर यह संशोधन पारित हो जाता, तो नियोक्ताओं को हाल ही में स्नातक किए गए सॉफ़्टवेयर डेवलपर के लिए मौजूदा $60,000 वेतन सीमा के बजाय $80,000 से अधिक का भुगतान करना पड़ता, जो 72% की वृद्धि होती। हालांकि, सीनेट ने इस पर मतदान नहीं किया। विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी कर्मचारियों के लिए ऊंचा वेतन निर्धारित करने से अमेरिकी श्रमिकों को ज्यादा नौकरियां मिलने के बजाय कंपनियां काम को विदेश स्थानांतरित करने पर मजबूर हो सकती हैं।
H-1B वीजा के लिए वित्त वर्ष 2026 की प्रारंभिक पंजीकरण अवधि 7 मार्च से 24 मार्च 2025 तक चली। USCIS ने 31 मार्च तक चयनित पंजीकरणकर्ताओं को सूचित करने की योजना बनाई है, जिसके बाद वे याचिका दाखिल कर सकेंगे।
2017 में, तत्कालीन अमेरिकी श्रम सचिव अलेक्जेंडर अकोस्टा ने H-1B वीजा पर विदेशी कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन को $60,000 से बढ़ाकर $80,000 करने का प्रस्ताव दिया था। यह वीजा भारतीय आईटी कंपनियों के बीच सबसे अधिक लोकप्रिय है।
H-1B कार्यक्रम के तहत अमेरिकी कंपनियां और नियोक्ता उन विदेशी पेशेवरों को अस्थायी रूप से नियुक्त कर सकते हैं, जिनके पास विशेष योग्यता और विशिष्ट डिग्री होती है। इसके तहत इंजीनियरिंग, गणित, चिकित्सा, शिक्षा, कानून और कला जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञ आते हैं।