अमेरिका में H-1B वीजा को लेकर लगातार बदलाव हो रहे हैं, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब तक कई बड़े ऐलान किए हैं। इसी कड़ी में 25 जुलाई को स्पष्ट कहा गया था कि H-1B वीजा के जो भी धारक हैं, उन्हें अब इन पर्सन इंटरव्यू देना पड़ेगा

इसका स्पष्ट मतलब है कि इस साल 2 सितंबर से जितने भी वीजा होल्डर होंगे, उन्हें अब इंटरव्यू देना अनिवार्य रहेगा। लेकिन जानकार मानते हैं कि इस एक फैसले की वजह से अमेरिका के टेक हब माने जाने वाले सिलिकॉन वैली में इसका काफी असर होने जा रहा है।

समझने वाली बात यह है कि सिलिकॉन वैली में जो कंपनियां मौजूद हैं, वहां पर ज्यादातर कर्मचारियों के पास H-1B वीजा है। सैन फ्रांसिस्को क्रॉनिकल की एक रिपोर्ट इस समस्या को सही तरीके से समझती है। बात अगर 2024 की हो तो 78000 H-1B वीजा अप्रूव किए गए थे, वहां भी अकेले सिलिकॉन वैली से 39000 लोगों के लिए वीजा अप्रूव किए गए थे, वहां भी ज्यादातर भारतीय थे।

लेकिन अब जो बदलाव किए गए हैं, उसके बाद H-1B वीजा कर्मचारियों को अपने देश वापस जाना पड़ेगा और इन पर्सन इंटरव्यू देना पड़ेगा। उसके बाद ही उनके वीजा को रिन्यू किया जाएगा। जानकारी के लिए बता दें कि जो H-1B वीजा होता है, वो 3 सालों के लिए इशू किया जाता है। उसके बाद उसे रिन्यू करवाना पड़ता है।

वैसे जो दूसरी बड़ी टेक कंपनियां हैं, वहां भी ज्यादातर कर्मचारी H-1B वीजा के होल्डर हैं। वर्तमान में गूगल में 5367 ऐसे कर्मचारी हैं जिनके पास H-1B वीजा है, इसी तरह एप्पल और META के पास भी बड़ी संख्या में ऐसे वीजा धारक मौजूद हैं।

H-1B वीजा सिर्फ उन लोगों को दिया जाता है, जो किसी स्पेशल काम को काम करते हैं। ये वीजा हासिल करने के लिए पढ़ाई-लिखाई भी मैटर करती है। बैचलर या मास्टर डिग्री हासिल कर चुके युवा अगर वर्क एक्सपीरियंस रखते हैं तो उन्हें ही ये वीजा मिलता है। H-1B वीजा के जरिए ज्यादातर लोग आईटी और फाइनेंस सेक्टर में काम करते हैं।

कैसे प्राप्त कर सकते हैं H-1B वीजा? जानें स्टेप बाय स्टेप

  1. इस वीजा को प्राप्त करने के लिए सबसे जरूरी और अहम स्टेप ये है कि आपको कोई ऐसी कंपनी ढूंढनी होती है जो आपको स्पॉन्सर करे। इसका मतलब है कि वह कंपनी आपको अमेरिका से इन्वीटेशन भेजेगी तभी आप उसके आधार पर इस वीजा के लिए आवेदन कर सकते हैं।
  2. अमेरिका से किसी कंपनी का इन्वीटेशन आने के बाद वह कंपनी का एक ‘लेबर कंडीशन एप्लीकेशन’ प्रोसेस होता है वह नौकरी प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को पूरा करना होता है। इसके बाद उस आवेदन को US Department of Labour में जमा कराना होता है। इस दस्तावेज के जरिए ही कंपनी आपको सैलरी ऑफर करेगी। इस एप्लीकेशन के स्वीकार होने से पहले कई और कानूनी आवश्यकताएं आपको पूरी करनी होती है।
  3. इसके बाद अगला स्टेप किसी इलाके में नौकरी के लिए मिलने वाली औसत सैलरी के बारे में ‘प्रिवेलिंग वेज’ के जरिए पता करना होता है। इससे ये सुनिश्चित होता है कि H-1B वीजा होल्डर को कम सैलरी नहीं मिले। आपकी कंपनी को स्टेट एम्प्लॉयमेंट एजेंसी से प्रिवेलिंग वेज के बारे में पता करना होगा।
  4. LCA प्रक्रिया पूरी होने के बाद आपकी कंपनी फॉर्म I-129, जिसे ‘पिटीशन फॉर नॉनइमिग्रेंट वर्कर’ भी कहते हैं, भरकर आपकी H-1B पिटीशन जमा करेगी। इस फॉर्म के साथ एक एम्प्लॉयमेंट लेटर भी लगाना जरूरी है, जिसमें नौकरी की पूरी जानकारी, सैलरी, ज़िम्मेदारियां और कॉन्टैक्ट डिटेल्स होनी चाहिए। इसके साथ कैंडिडेट के एकेडमिक दस्तावेज भी लगते हैं। साथ ही ट्रेनिंग सर्टिफिकेट्स, रेज्यूमे और रेकमेंडेशन लेटर जैसे सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट्स भी लगाने होंगे। इसके बाद, आप USCIS वेबसाइट पर अपने एप्लीकेशन का स्टेटस चेक कर सकते हैं।
  5. अगर I-129 फॉर्म अप्रूव हो जाएगा तो आपको फॉर्म I-797, ‘नोटिस ऑफ एक्शन’ मिलेगा।
  6. अब आगे की प्रक्रिया इस पर निर्भर करेगी कि आप अमेरिका में हैं या नहीं। अगर आप पहले से ही अमेरिका में हैं, तो आपका स्टेटस अपने आप H-1B में बदल जाएगा। USCIS का अपडेट भी कुछ दिनों में रिफलेक्ट होने लगेगा। जब तक स्टेटस चेंज नहीं हो जाता है, तब तक कहीं भी काम करने से बचें। H-1B वीजा स्टैम्प पाने के लिए, आपको DS-160 फॉर्म भरना होगा और काम शुरू करने से 90 दिन पहले वीजा स्टैम्पिंग अपॉइंटमेंट लेना होगा। यह उन लोगों के लिए है जिनके पास पहले से ही कोई नॉनइमिग्रेंट वीजा है, जैसे O-1, J-1, या L-1।
  7. अगर आप अमेरिका से बाहर हैं तो आपको DS-160 फॉर्म भरना होगा। अपने देश में अमेरिकी दूतावास या कॉन्सुलेट में इंटरव्यू भी देना होगा। फॉर्म I-129 अप्रूव होने के बाद आपको अपने देश के अमेरिकी दूतावास या वाणिज्य दूतावास में एक गैर-आप्रवासी वीजा एप्लिकेशन जमा करना होगा।

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