Gottfried Wilhelm Leibniz, गॉटफ्रेड विल्हेम लाइबनिट्स Google Doodle: सर्च ईंजन गूगल ने आज जर्मनी के दार्शनिक गॉटफ्रीड विल्हेम लैबनिज़ को सम्मान दिया है। दुनिया के इस महान गणितज्ञ और दार्शनिक की आज 375 जयंती है। गॉटफ्रीड विल्हेम लैबनिज़ गणित और दर्शन शास्त्र के बड़े विद्धान थे। यांत्रिक गणना के क्षेत्र में लैबनिज ने बड़े पैमाने पर काम किया। उन्हें कैलकुलेटिंग मशीन का आविष्कारक भी माना जाता है। लगभग 300 सालों बाद यही कैलकुलेटर इलेक्ट्रानिक कैलकुलेटर के रूप में विकसित हुआ। इलेक्ट्रानिक कैलकुलेटर 1970 के मध्य में पहली बार लोगों के सामने आया। यह मशीन कई प्रकार की गणितीय गणनाएं करने में सक्षम था। लैबनिज ने इस मशीन को पेरिस में एकेडमी डेस साइंसेज के सामने पेश किया, यहां उनके आविष्कार की सराहना हुई। इसके बाद वे इस मशीन को रॉयल सोसायटी लंदन लेकर गये। उनके काम से प्रभावित होकर 1673 में उन्हें रॉयल सोसायटी का सदस्य मनोनीत किया गया।
लैबनिज का जन्म 1 जुलाई 1646 को जर्मनी के लिपजिंग नाम के स्थान पर हुआ था। उनके पिता मोरल फिलॉसफी के प्रोफेसर थे। जब लैबनिज मात्र 6 साल के थे उसी वक्त उनके पिता चल बसे। इससे उनकी पढ़ाई में दिक्कते आईं। वे इतने कुशाग्र बुद्धि के थे कि आठ साल में उन्होंने लैटिन भाषा सीख ली, जबकि बारह साल में वे ग्रीक भाषा के जानकार हो गये। आगे चलकर उन्होंने कानून, दर्शन शास्त्र, गणित, इतिहास का अध्ययन किया। गणित विषय में उनके योगदान को सर्वत्र सराहना मिली। उन्होंने कैलकुलस के विकास में अहम योगदान किया। उन्होंने डिफरेंशियशन और इंटिग्रेशन के क्षेत्र में जो काम किया उसका इस्तेमाल आज तक किया जा रहा है।

सिर्फ विज्ञान ही नहीं लैबनिज ने दर्शन और अध्यात्म का भी गहन अध्ययन किया। दर्शन के क्षेत्र में उन्होंने निष्कर्ष दिया कि हमारा ब्रह्मांड ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट रचनाओं में से है। उन्होंने अपने समकाली सैम्युएल क्लार्क को जो पत्र लिखे उसमें ईश्वर, आत्मा, काल एंव स्थान के बारे में प्रतिपादित उनके सिद्धांतों की विस्तृत चर्चा है। लैबनिज की अधिकांश कृतियां उनके निधन के बाद ही प्रकाशित हुईं। उनकी मृत्यु 14 नवम्बर सन 1746 को हैनोवर में हुई। जीवन के अंतिम दिन उन्हें कष्ट में गुजारने पड़े। तब उनकी स्थिति विकट और दयनीय रही। सन 1692 से 1716 तक उन्हें बीमारियों ने जकड़े रखा। मृत्यु शैय्या पर उनकी सेवा करने वाला कोई नहीं था।

