जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने अमेरिका द्वारा सात देशों के लोगों की यात्रा पर लगाए गए प्रतिबंध की आलोचना करते हुए सोमाव (30 जनवरी) को कहा कि इसमें मुसलमान विरोधी पूर्वाग्रह की बू आती है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लागू किए गए उपायों को लेकर संवाददाताओं से कहा, ‘आतंकवाद के खिलाफ जरूरी एवं साथ ही दृढ़ लड़ाई किसी भी रूप में एक खास धर्म के लोगों के खिलाफ सामान्य संदेह को सही नहीं ठहराती, और इस मामले में यह खास धर्म इस्लाम है या एक खास पृष्ठभूमि के लोग हैं।’
उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति पेत्रो पोरोशेंको के साथ बातचीत से पहले कहा, ‘मेरा मानना है कि यह रुख शरणार्थियों के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग के मूल सिद्धांतों के उलट है।’ चांसलर ने कहा कि जर्मनी का विदेश मंत्रालय ‘खासकर उन लोगों के मामले में कानूनी स्थिति को साफ करने के लिए अपनी क्षमता में सबकुछ करेगा।’ जिनके पास जर्मनी और प्रतिबंधित सूची में शामिल देशों की दोहरी नागरिकता है। उन्होंने कहा कि जर्मनी प्रतिबंध से प्रभावित होने वाले लोगों के लिए ‘कानूनी निश्चितता हासिल करने की खातिर उनके हितों का जोरदार तरीके से प्रतिनिधित्व करेगा।’
इससे पहले सात मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध के शासकीय आदेश का बचाव करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जोर देकर कहा कि ‘यह प्रतिबंध मुस्लिमों पर नहीं है’ जैसा कि मीडिया द्वारा गलत प्रचार किया जा रहा है। ट्रंप ने शुक्रवार (27 जनवरी) को उस आदेश पर हस्ताक्षर किए थे जिसके चलते सीरिया के शरणार्थियों समेत छह अन्य देशों के लोगों के अमेरिका में प्रवेश पर पाबंदी लग गई। उनके इस कदम की खासी आलोचना हुई। इन सात देशों में इरान, ईराक, लीबिया, सूडान, यमन, सीरिया और सोमालिया हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि यह मुस्लिमों पर प्रतिबंध नहीं है जैसा कि मीडिया गलत प्रचार कर रहा है। यह धर्म के बारे में भी नहीं है। यह आतंकवाद और हमारे देश को सुरक्षित रखने को लेकर है। दुनिया भर में 40 से अधिक देश मुस्लिम बहुल हैं जो इस आदेश से प्रभावित नहीं होंगे।

