नेपाल में Gen Z के प्रदर्शनकारियों के द्वारा किए गए हिंसक विरोध प्रदर्शनों की वजह से देश की केपी शर्मा ओली की सरकार गिर गई। नेपाल बहुत बड़े संकट से गुजर रहा है और हालात को संभालने के लिए सेना को आगे आना पड़ा है। नेपाल के हालात को लेकर पूर्व शिक्षा मंत्री सुमना श्रेष्ठ ने द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में तमाम मुद्दों पर बात की है।

सुमना श्रेष्ठ ने प्रदर्शनकारियों द्वारा इमारत पर कब्जे करना और हिंसा को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि इसकी वजह पुलिस के द्वारा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ की गई बर्बरता है।

सुमना श्रेष्ठ कहती हैं कि युवाओं का गुस्सा भ्रष्टाचार और विकास के मुद्दों को लेकर है हालांकि इस खराब हालत में भी उन्होंने उम्मीद जताई कि पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की के नेतृत्व में हालात सुधर सकते हैं।

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इंटरव्यू के दौरान जब उनसे पूछा गया कि नेपाल में हुई इस अस्थिरता के पीछे क्या वजह है और क्या सोशल मीडिया पर बैन लगाने की वजह से ऐसा हुआ है, तो उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर बैन मुख्य वजह नहीं है।

सुमना ने कहा, “देश में जबरदस्त गुस्सा और असमानता है। राजनीतिक दलों ने जनता से किए गए वादे पूरे नहीं किए। नेपाल के लोगों को नौकरी और शिक्षा के लिए पलायन करने को मजबूर होना पड़ रहा है। हर संस्था पर पार्टियों का कब्जा है और वे तानाशाह की तरह काम करती हैं।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की कुर्सी म्यूजिकल चेयर जैसी हो गई है।

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ना नौकरी है, ना अच्छी पढ़ाई और ना ही अस्पताल…

पूर्व सांसद सुमना ने कहा, “नेपाल में Gen Z की सबसे ज्यादा आबादी है और यही वर्ग सबसे ज्यादा परेशान है। ना नौकरी है, ना अच्छी पढ़ाई और ना अस्पताल। यह वर्ग काफी समय तक सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर करता रहा। सरकार निरंकुश हो गई और यही ताबूत में आखिरी कील साबित हुई।”

भविष्य के लिए सड़कों पर उतरे Gen Z के लोग

सुमना ने कहा कि Gen Z के लोग अपने भविष्य के लिए सड़कों पर उतरे और उन्होंने ‘नेपो बेबी’ और ‘भ्रष्टाचार खत्म करो’ जैसे बड़े अभियान चलाए। वे लंबे राजनीतिक भाषण नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि कुछ समूह युवाओं के गुस्से का इस्तेमाल कर रहे हैं और शायद पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को जनता के गुस्से के बारे में गलत जानकारी दी गई थी।

नेपाल के राजनीतिक भविष्य को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सुशीला कार्की का संसद में सभी दल सम्मान करते हैं। वह युवा पीढ़ी की बातों को समझती हैं और ऐसा लगता है कि अब हालत स्थिर होंगे।

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पूर्व मंत्री ने कहा कि प्रदर्शनकारी नेपाल में जल्द से जल्द चुनाव चाहते हैं और 6 से 12 महीने के भीतर जनता के नेतृत्व वाली सरकार का शासन नेपाल में चाहते हैं। वे राजशाही की बहाली भी नहीं चाहते और देश की स्थिरता के लिए जनता की ओर से चुने गए प्रधानमंत्री की मांग कर रहे हैं।

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