गांबिया नेशनल असेंबली की एक सेलेक्ट समिति ने निष्कर्ष निकाला है कि गुर्दे (Kidney) में संक्रमण के कारण 70 बच्चों की मौत भारतीय फार्मा फर्म मेडेन फार्मास्युटिकल्स (Maiden Pharmaceuticals) द्वारा बनाए गए चार खराब सिरप के सेवन से जुड़ी है। समिति ने इस हफ्ते सौंपी अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि मेडेन को काली सूची में डाल दिया जाए, इसके उत्पादों को गांबिया बाजार में प्रतिबंधित कर दिया जाए और कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
Maiden Pharmaceuticals गांबिया में बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार
गौरतलब है कि जून से नवंबर 2022 के बीच, गांबिया में 82 बच्चों की किडनी में गंभीर संक्रमण की पुष्टि हुई थी। इनमें से 70 की मौत हो गई। रिपोर्ट के अनुसार, सेलेक्ट कमेटी का मानना है कि मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड दोषी है और उसे खराब दवाओं के निर्यात के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, जिसके चलते कम से कम 70 बच्चों की मौत हो गयी। रिपोर्ट के अनुसार, सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल पाए गए थे। समिति ने कहा कि भारत में मेडेन फार्मास्युटिकल्स से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन वे उनके ईमेल और कॉल का जवाब नहीं दे रहे हैं।
Maiden Pharmaceuticals को भारत सरकार ने दी थी क्लीन चिट
भारत के ड्रग कंट्रोलर द्वारा की गई एक जांच में कहा गया है कि कंपनी द्वारा बनाए गए गांबिया को निर्यात किए गए बैच के नमूनों में एथिलीन ग्लाइकॉल और डायथिलीन ग्लाइकॉल नहीं पाया गया था। केंद्र सरकार ने मेडेन फार्मास्यूटिकल्स को क्लीन चिट देते हुए कहा था कि इस कंपनी के कफ सिरप में कोई कमी नहीं है। सरकार ने संसद को बताया था कि मेडेन फार्मास्यूटिकल्स के कफ सिरप के सैंपल मानक के अनुरूप पाए गए हैं।
गांबियन समिति के निष्कर्षों के अनुसार, किडनी में इन्फेकशन के 82 मामलों में से 83% तीन वर्ष से कम उम्र के बच्चे थे। रिपोर्ट के अनुसार, 70 मौतों में से केवल दो मामलों में ऑटोप्सी की गयी थी। कमेटी के अध्यक्ष, Amadou Carara ने स्वीकार किया कि 70 में से दो मौतें निश्चित रूप से वैज्ञानिक नहीं हैं। पर हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि यह निश्चित रूप से जुड़ा हुआ है। उन्होंने स्थानीय सांस्कृतिक मान्यताओं का हवाला देते हुए कहा कि ज्यादातर लोगों ने ऑटोप्सी के लिए सहमति नहीं दी थी। हालांकि, दो ऑटोप्सी रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों की मौत मल्टी-ऑर्गन फेल्योर के कारण हुई थी।