भारत में चल रहे जी20 समिट में कई ऐतिहासिक कदम उठा लिए गए हैं। इसी कड़ी में शनिवार को राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सबसे बड़ा ऐलान करते हुए मिलिड ईस्ट तक एक इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने के लिए सहमति दे दी। ये कॉरिडोर भारत, यूरोप और मिडिल ईस्ट के बीच रहने वाला है। अब जानकार इस कॉरिडोर को चीन के BRI और CPEC का जवाब मानते हैं।
चीन के पेट में क्यों हुआ दर्द?
अभी तो इस प्रोजेक्ट पर काम भी शुरू नहीं हुआ है, लेकिन चीन की बौखलाहट दिखने लगी है। चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने अभी से अमेरिका की नीयत पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। उसकी तरफ से कहा जा रहा है कि अमेरिका ऐसे सपने पहले भी देख चुका है, वो पहले भी मिडिल ईस्ट तक व्यापार को बढ़ाना चाहता था, लेकिन उसके सपने कभी भी परवान नहीं चढ़ पाते।
अमेरिका पर तंज, खुद का डर छिपाना?
चीन की तरफ से तर्क दिया जा रहा है कि जब बराक ओबामा राष्ट्रपति थे, उस समय भी कहा गया था कि एक नया सिल्क रूट शुरू किया जाएगा। लेकिन सिर्फ बात ही होती रही, असल में जमीन पर कोई काम नहीं हुआ। आज वो प्रोजेक्ट चर्चा में भी नहीं चल रहा है। चीन में बैठे जानकार तो ये भी तर्क देते नहीं थक रहे कि अमेरिका असल में बीआरआई प्रोजेक्ट से चिढ़ता है, इस समय ये परियोजना अपने 10 साल सेलिब्रेट कर रही है, ऐसे में चीन को आइसोलेट करने के लिए वो अपनी तरफ से कुछ भी करने के प्रयास में लगा है।
मिडिल ईस्ट में चीन की भूमिका
अभी के लिए चीन ये भी मानकर चल रहा है कि खाड़ी देशों में जिस तरह से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया गया है, जिस तरह से मिडिल ईस्ट में बीआरआई प्रोजेक्ट से फायदा पहुंचा है, अमेरिका के लिए उसे काउंटर करना नाममुकिन रहने वाला है। यहां तक कहा जा रहा है कि अमेरिका जिस ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को डेवलप करने के सपने देख रहा है, उस क्षेत्र में उसे कोई महारत हासिल नहीं है।
बाइडेन-मोदी की क्या रणनीति?
जानकारी के लिए बता दें कि बाइडेन जिस परियोजना के बारे में सोच रहे हैं, उसके जरिए एक तिहाई वैश्विक अर्थव्यवस्था को सीधा फायदा पहुंचने वाला है। बड़ी बात ये है कि इस योजना में डेटा, रेल, बिजली और हाइड्रोजन पाइपलाइन को भी शामिल कर लिया गया है। यहां ये समझना जरूरी है कि इस योजना के जरिए भारत और यूरोप के बीच में व्यापार 40 फीसदी तक बढ़ जाएगा। अब ये प्रोजेक्ट कई उन धारणाओं को भी तोड़ने का काम करता है जो पहले कई सालों तक विकास परियोजनाओं के बीच बाधा बनकर बैठी थीं।