नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफ़ज़ई की तस्वीर लोकप्रिय ब्रिटिश मैगजीन वोग के जून एडिशन के कवर पेज पर छपी है। पाकिस्‍तानी एक्टिविस्‍ट ने वोग को दिये गए एक इंटरव्‍यू में अपने लॉकडाउन के दिनों के बार में बात की। इस इंटरव्‍यू में उन्‍होंने शादी से लेकर हिजाब पहनने सहित कई सवालों के जवाब दिए हैं।

मैगजीन के कवर पेज को मलाला ने अपने इंस्‍टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया है और लिखा कि वे उम्‍मीद करती हैं कि यह हर लड़की को प्रेरित करेगा कि वह दुनिया बदल सकती है। इस इंटरव्‍यू में 23 साल की मालाला ने शादी से लेकर कई मसलों पर बेबाकी से बात की है। जिसके बाद पाकिस्तान में इसको लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि “मुझे यह बात समझ में नहीं आती कि लोग शादी क्यों करते हैं। अगर आपको जीवनसाथी चाहिए तो आप शादी के काग़ज़ों पर दस्तख़त क्यों करते हैं, यह एक पार्टनरशिप क्यों नहीं हो सकती?”

मलाला के इस बयान की सोशल मीडिया पर काफ़ी आलोचना हुई, जिसमें यूज़र्स ने इस मुद्दे के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किए। कुछ यूज़र्स ने इस बयान को “ग़ैर-इस्लामी” तक कहा, तो दूसरी तरफ़ कुछ लोगों ने एक जटिल मुद्दे पर अपने मन की बात कहने के लिए मलाला की प्रशंसा भी की। ऐसे लोग भी थे जिन्होंने बिना शादी के पार्टनर के साथ रहने को लेकर क़ानूनी पहलू पर बातें कीं और बिना कॉन्ट्रैक्ट के रिश्तों का नाजायज़ फ़ायदा उठाने पर भी बात की गई।

वोग पत्रिका की सीरीन केल के से बात करते हुए मलाला ने कहा “यूनिवर्सिटी के दूसरे वर्ष तक, मैं यही सोचती थी कि मैं कभी शादी नहीं करूंगी, बच्चे पैदा नहीं करूंगी, बस काम करूंगी। मैं ख़ुश रहूंगी और हमेशा अपने परिवार के साथ रहूंगी, लेकिन मुझे नहीं पता था कि हम हमेशा एक जैसे इंसान नहीं रहते। हमारे अंदर बदलाव आता है और हमारी सोच बदल जाती है। ”

हिजाब को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि यह उनकी धार्मिक आस्‍था से अधिक उनकी सांस्‍कृतिक पहचान को दर्शाता है। नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा, “यह हम पश्तूनों का सांस्कृतिक प्रतीक है। इसलिए यह दर्शाता है कि मैं कहां से हूं। हम मुस्लिम लड़कियां, पश्तून लड़कियां या पाकिस्तानी लड़कियां, जब अपनी पारंपरिक पोशाक पहनती हैं, तो हमें दमित, बेजुबान या पितृसत्ता के अधीन रहने वाली कहा जाता है। मैं सभी को बताना चाहती हूं कि आपकी संस्कृति में भी आपकी अपनी आवाज हो सकती है और आपकी संस्कृति में समानता हो सकती है।”