फ्रांस एक बार फिर हिंसा का शिकार हो गया है। एक बार फिर सड़कों पर आगजनी हो रही है, पुलिस पर पथराव किया जा रहा है और जमकर विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। जिस पैरिस में सभी एफिल टावर का दीदार करने जाते हैं, वहां अब आग का धुंआ उठ रहा है, पुलिस को बल का प्रयोग करना पड़ रहा है। अब सवाल ये उठता है कि फ्रांस आखिर जल क्यों रहा है? इस विकसित देश में इस तरह से स्थिति बेकाबू क्यों हो रही है?

आखिर क्यों जल रहा फ्रांस?

असल में फ्रांस के जलने का कारण एक गोलीकांड है जिसमें 17 साल के नाबालिग की मौत हो गई। ये गोली एक पुलिस ऑफिसर ने चलाई, वो भी प्वाइंट ब्लांक से। नाबालिग ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। अब ये एक साजिश के तहत हुआ या सिर्फ महज एक हादसा रहा, इसी की जांच की जा रही है। घटना की बात करें तो आरोप ये लग रहा है कि नाबालिग तेज रफ्तार में एक रेंटल गाड़ी भगा रहा था। उसने एक बार नहीं कई मौकों पर ट्रैफिक के नियम तोड़ दिए।

नाबालिग भी जिम्मेदार?

इस पूरी घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल है। उस वीडियो में दिख रहा है कि एक गाड़ी तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है। उसे रोकने के लिए पुलिस की गाड़ी भी पीछे भाग रही है, जब करीब आते हैं तब शीशा खोल फायर किया जाता है। गोली सीधा शीशा तोड़ते हुए उस नाबालिग को लगती है और कुछ सेकेंड में ही गाड़ी क्रैश कर जाती है। नाबालिग दम तोड़ देता है और देश में एक नए विवाद का आगाज हो जाता है।

राष्ट्रपति भी नाराज, पुलिस पर होगा एक्शन?

घटना पर राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अपना दुख जाहिर कर दिया है। एक जारी बयान में उन्होंने कहा कि नाबालिग की हत्या कर दी गई। इसे भूला नहीं जा सकता। इससे पूरा देश आक्रोशित है। लेकिन राष्ट्रपति का ये बयान आम लोगों को फ्रांस में औ ज्यादा नाराज कर गया है क्योंकि ये कोई पहली घटना नहीं है जहां पर पुलिस फायरिंग में ऐसे किसी की मौत हो गई हो। इसी वजह से इस बार जब इस प्रकार की फिर घटना हुई, तनाव काफी ज्यादा बढ़ गया।

हिंसा का ये कैसा रूप जहां सब जगह आगजनी

आलम ये रहा कि पुलिस हेडक्वाटर के बाहर की विरोध प्रदर्शन किया गया। एक गाड़ी को आग के हवाले कर दिया गया, पुलिस की तरफ पटाखे फेंके गए। हालात को कंट्रोल करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। लोगों के मन में ये धारणा सेट हो रही है कि पुलिस किसी को भी गोली मार सकती है, और उन पर कोई एक्शन नहीं होगा। लेकिन जिस तरह से राष्ट्रपति और सरकार ने इस पूरे मामले में उस नाबालिग का समर्थन करने का दावा किया है, पुलिस महकमें में इसे लेकर नया विवाद शुरू हो गया है।

पुलिस का पक्ष क्या है?

फ्रांस की जो Alliance Police यूनियन है, उसने साफ कर दिया है कि जब तक जुर्म साबित नहीं हो जाता, शख्स निर्दोष ही माना जाए। अब ऐसा इसलिए कहना पड़ा क्योंकि जब से उस पुलिस अधिकारी ने नाबालिग पर गोली चलाई, हर कोई उसे हत्यारा मान रहा है। लेकिन उस कहानी का एक पक्ष ये भी है कि उस नाबालिग ने कई सड़क नियम तोड़े थे, वो तेज रफ्तार से अपनी गाड़ी भगा रहा था, पुलिस के रोकने के बावजूद उसने भागने की कोशिश की। पुलिस इसी बात को अपना सबसे मजबूत पहलू मानती है और इसी दम पर अपने अधिकारी को निर्दोष साबित करने की कोशिश कर रही है।

इसी कड़ी में पुलिस का एक ट्वीट जो अब डिलीट हो चुका है, उसमें भी पुलिस का वहीं पक्ष दिखाने की कोशिश हुई थी। उस ट्वीट में कहा गया कि उस पुलिस अधिकारी की तारीफ होनी चाहिए जिसने एक नौजवान अपराधी को गोली मारी। यहां तक कहा गया कि जो उस नाबालिग की मौत हुई, उसके लिए उसका परिवार ही जिम्मेदार है जिसने सही शिक्षा नहीं दी। अब ये ट्वीट तो डिलीट कर दिया गया, लेकिन लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। वैसे लोगों का ये गुस्सा किसी कारण की वजह से है।

आंकड़े पुलिस के खिलाफ जाते हुए

एक आंकड़ा बताता है कि पिछले साल ट्रैफिक स्टॉप्स पर जो पुलिस फायरिंग हुई, उसमें 13 लोगों की मौत हो गई। इसी तरह 2021 में तीन लोगों की मौत हुई और 2019 में दो की। बड़ी बात ये भी रही जिन पर ये गोली चलाई गईं, उनमें ज्यादातर पीड़ित अश्वेत थे। ऐसे में सवाल तो ये भी उठता है कि क्या ये किसी तरह की टारगेट किलिंग है जो विकसित फ्रांस में इस समय देखने को मिल रही है?