बाचा खान यूनिवर्सिटी पर हमले के बाद पाकिस्तान सरकार और सेना को अब अपने ही लोग आईना दिखा रहे हैं। पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व अधिकारी कॉलम मुनीर का कहना है कि पाकिस्तान को इस हमले का दोष भारत पर मढ़ने के बजाय हमलावरों को ढूंढ़ना चाहिए। कॉलमनिस्ट मुनीर ने कहा कि पाकिस्तान के अफगानिस्तान और कश्मीर को ‘आजाद’ कराने की योजना के दौरान जिहादियों के इस्तेमाल का खामियाजा अब भुगतना पड़ रहा है। आईएसआई में रहने के दौरान मुनीर उत्तरपूर्वी पाकिस्तान में कार्यरत थे। यूनिवर्सिटी पर हमले के बाद मुनीर ने टि्वटर के जरिए भी पाक सेना को घेरा।
उन्होंने कहा कि, तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान के अफगानिस्तान में छुपे मुल्ला फजलुल्लाह जैसे नेता खुश हो रहे होंगे कि उनके किए गए काम के लिए रॉ(भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसी) को दोषी ठहराया जा रहा है। रॉ बाचा खान यूनिवर्सिटी पर उनकी जयंती के मौके पर हमला करने के लिए फंड नहीं दे सकती। ये हत्यारे पाकिस्तानी हैं, दूसरों को दोष मत दो।
RAW is not likely to fund an attack on #BachaKhanUniversity on his death anniversary.These murderers are Pakistanis, don’t blame others.
— Asad Munir (@asadmunir38) January 20, 2016
The state trained Jihadis to liberate Kashmir,leaders had limited vision,couldn’t achieve that aim but 1000s Pakistanis killed since then. — Asad Munir (@asadmunir38) January 20, 2016
Fazalulla,Mansoor,other TTP leaders would be happy that RAW is being blamed by some morons for an incident that TTP planned and executed
— Asad Munir (@asadmunir38) January 20, 2016
वहीं ‘न्यूज डेली’ अखबार में पत्रकार उमर अली ने लिखा कि, ‘पाकिस्तानी सेना से कुछ कठोर सवाल पूछने का समय आ गया है। 2014 में पेशावर स्कूल हमले के बाद बनाया गया नेशनल एक्शन प्लान यूनिवर्सिटी पर हमला रोकने में क्यों फेल हो गया?’ लंबे समय से यह ट्रेंड चल रहा है कि कोई भी गलत काम होने पर भारत और पाकिस्तान एक दूसरे पर दोष मढ़ देते हैं। फिर चाहे वो आतंकी हमला हो या फिर बाढ़ ही क्यों न आए। लेकिन पेशावर स्कूल पर हमले के बाद से पाकिस्तान सेना पर सिविल सोसायटी के लोग सवाल उठा रहे हैं। गौरतलब है कि 2014 में पेशावर में आर्मी स्कूल पर हुए हमले में 130 बच्चों की जान गई थी।