पाकिस्तान के सिंध प्रांत की सरकार ने गुरुवार (24 नवंबर) को नया कानून बनाकर राज्य में जबरन धर्म परिवर्तन कराने को दंडनीय अपराध घोषित कर दिया है। सिंध प्रांत की विधान सभा में पेश किए गए अल्पसंख्यक सुरक्षा विधेयक का सभी दलों ने समर्थन किया। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के जबरिया धर्म परिवर्तन के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं लेकिन पाकिस्तानी इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि देश के किसी राज्य में इसे दंडनीय अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है। नए कानून के अनुसार जबरन धर्म परिवर्तन कराने का दोषी पाए जाने पर पांच साल से आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा दोषी को पीड़ितो को आर्थिक जुर्माना भी देना होगा।
नए कानून के अनुसार जरबन धर्म परिवर्तन कराए गए शख्श की शादी कराने वाले व्यक्ति को भी तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। नए कानून के अनुसार नाबालिगों के धर्म परिवर्तन को पूरी तरह गैर-कानूनी घोषित किया गया है। नए कानून के अनुसार धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को 21 दिन पहले इसकी सूचना देनी होगी। सिंध विधान सभा में ये विधेयक पाकिस्तान मुस्लिम लीग के हिंदू विधायक नंद कुमार गोकलानी ने 2015 में पेश किया था। नंद कुमार ने इस विधेय को पारित कराने के लिए सभी दलों का आभार व्यक्त किया। पाकिस्तान में करीब 20 लाख हिंदू आबादी है। हिंदुओं के अलावा पाकिस्तान में सिख, बौद्ध, ईसाई, बहाई, अहमदिया इत्यादि धर्म के भी अल्पसंख्यक हैं।
गोकलानी ने विधेयक पारित होने के बाद कहा, “हमने ऐतिहासिक कानून बनाया और पारित किया है। इससे हिंदू अल्पसंख्यकों का शोषण रुकेगा और वो पहले से ज्यादा सुरक्षित महसूस करेंगे।” पाकिस्तान में पिछले कुछ दशकों में अल्पसंख्यकों की आबादी में तेजी से कमी आई है। पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराकर उनकी शादी कराने के मामले भी अक्सर सामने आते रहे हैं। विभिन्न पाकिस्तानी और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन देश में जबरन धर्म परिवर्तन पर लगाम लगाने की मांग करते रहते हैं।