चीन के तिआनजिन में एससीओ समिट संपन्न हो गया है। इस समिट में एशियाई देशों की एकता देखने को मिली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग की सियासी केमिस्ट्री भी महत्वपूर्ण रही। अब एक तरफ चीन में एससीओ समिट हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी दूतावास का भारत के लिए एक संदेश चर्चा का विषय बन चुका है। उस संदेश के बात निष्कर्ष निकाला जा रहा है कि भारत की कूटनीति की वजह से अमेरिका के तेवर बदल गए हैं।
अमेरिका ने भारत की तारीफ में क्या कहा
असल में भारत में अमेरिकी दूतावास ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अमेरिका और भारत की आपसी साझेदारी का जिक्र किया है, दोनों ही देशों की मजबूत होती दोस्ती का भी हवाला दिया गया है। पोस्ट में लिखा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच की साझेदारी लगातार नई ऊंचाइयों को छू रही है — यह 21वीं सदी के एक निर्णायक संबंधों में से एक है। इस महीने, हम उन लोगों, प्रगति और संभावनाओं पर प्रकाश डाल रहे हैं जो हमें आगे बढ़ा रहे हैं। नवाचार और उद्यमिता से लेकर रक्षा और द्विपक्षीय संबंधों तक, यह हमारी दोनों देशों के बीच की स्थायी मित्रता है जो इस यात्रा को आगे बढ़ा रही है। हैशटैग को फॉलो करें और जुड़ें #USIndiaFWDforOurPeople के साथ।
अमेरिका के तेवर कैसे बदले?
अब उसी पोस्ट में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्क रूबियो का बयान भी लिखा है। उन्होंने कहा है कि भारत और अमेरिका की जो साझेदारी है, उसका आधार भारत और अमेरिका के लोगों की गहरी दोस्ती है। अब जानकार अमेरिका की टाइमिंग पर सवाल उठा रहे हैं। जो अमेरिका कई दिनों से टैरिफ के जरिए भारत को दबाने की कोशिश कर रहा है, वो अचानक से आपसी साझेदारी की बात करने लगा है। वहीं दूसरी तरफ भारत ने एससीओ समिट में बिना नाम लिए अमेरिका पर निशाना साधा है, पीएम मोदी ने खुद कई देशों को संदेश देने का काम किया है।
पीएम मोदी ने एससीओ समिट में क्या कहा
पीएम मोदी ने सोमवार को अपने बयान में कहा था कि अगर ग्लोबल साउथ की अकांक्षाओं को आउटडेटेड फ्रेमवर्क्स में कैद करने की कोशिश होगी तो यह पूरी तरह भावी पीढ़ियों के साथ अन्याय होगा। पीएम ने इस बात पर भी जोर दिया था कि नई पीढ़ी के सपनों को सिर्फ ब्लैक एंड व्हाइट स्क्रीन पर नहीं देखा जा सकता है, कई बार स्क्रीन बदलने की भी दरकार रहती है।
अमेरिका कर रहा डैमेज कंट्रोल?
अब एक तरफ पीएम मोदी के बयान को अहम माना गया तो वहीं दूसरी तरफ चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी भारत के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया। दोनों देशों की बढ़ती नजदीकियों ने भी अमेरिका को असहज किया। एशिया की दो महाशक्तियों का साथ आना दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र को को चिंता दे गया। जानकार मान रहे हैं कि ट्रंप की टैरिफ नीति की वजह से भारत के साथ अमेरिका की दोस्ती कमजोर पड़ी है, ऐसे में अब किसी तरह से डैमेज कंट्रोल की भी कोशिश हो रही है।
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