अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने सभी एग्जिट पोल्स को गलत साबित करते हुए बड़ी जीत दर्ज की है। जिस चुनाव को पहले कांटे का बताया जा रहा था, माना जा रहा था कि कमला हैरिस बाजी पलट सकती हैं, उसी चुनाव में ट्रंप ने इतिहास रच दिया है। 132 साल बाद ऐसा हुआ है जब एक चुनाव हारने के बाद किसी नेता ने फिर राष्ट्रपति की कुर्सी जीत ली हो।

अब ट्रंप की यह जो बड़ी जीत हुई है, इसके कारण सामने आए हैं। उनकी आक्रमक नीति से लेकर जबरदस्त प्रचार तक, सहानुभूति की लहर से लेकर बाइडेन के खिलाफ एंटी इनमकबेंसी तक, कई ऐसे मुद्दे हावी रहे जिन्होंने अमेरिकी वोटरों को ट्रंप के पक्ष में वोट करने के लिए ही मना लिया। यहां ऐसे ही पांच कारण जानते हैं जिनकी वजह से डोनाल्ड ट्रंप फिर राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं।

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कारण नंबर 1- सहानुभूति की लहर

डोनाल्ड ट्रंप ने जब अपना चुनावी अभियान शुरू किया था, पेंसिल्वेनिया में उन पर जानलेवाल हमला हुआ था, गोली तो सिर्फ उनके कान को छूकर निकल गई, लेकिन वो चुनाव का एक बड़ा मुद्दा बना। ऐसा मुद्दा जिसे हर रैली में ट्रंप और उनके समर्थकों ने भुनाने का काम किया। नतीजे बता रहे हैं कि स्विंग स्टेट पेंसिल्वेनिया में ट्रंप ने एक बड़ी जीत दर्ज की है, उनकी तरफ से निर्णायक अंतर से कमला हैरिस को हरा दिया गया है। ट्रंप को इस बड़े राज्य में 50.8 फीसदी वोट मिले, वहीं उनकी प्रतिद्वंद्वी कमला हैरिस को सिर्फ 48.2 फीसदी वोट से संतोष करना पड़ा। अब जानकार मानते हैं कि इस राज्य में सहानुभूति फैक्टर ने अपना कमाल किया है।

इसके ऊपर एक्स के मालिक एलन मस्क का उन्हें जिस तरह से खुला समर्थन मिला, उसने भी उनके प्रचार को मजबूत करने का काम किया। उस वजह से भी उनका हर सहानुभूति वाला संदेश दूर तक गया, ज्यादा लोगों को प्रभावित कर पाया।

कारण नंबर 2- हिंदू कार्ड से मिला भारतीयों का वोट

अभी तक के जो चुनावी ट्रेंड सामने आए हैं, कहा जा सकता है कि भारतवंशियों ने भी अच्छी तादाद में ट्रंप को वोट किया है। पारंपरिक रूप से यह वोटर डेमोक्रेट्स के साथ ज्यादा मजबूती के साथ खड़े होते हैं, लेकिन इस बार क्योंकि चुनावी प्रचार के दौरान ट्रंप ने खुलकर हिंदू वोटरों को संबोधित किया, उनकी तरफ से बांग्लादेश हिंसा की कठोर शब्दों में निंदा की, उसका कुछ असर चुनावी परिणामों में दिख रहा है।

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कारण नंबर 3- ट्रंप की आक्रमक शैली और स्पष्ट विचार

डोनाल्ड ट्रंप की पूरे चुनाव में स्पष्ट विचारधारा देखने को मिली थी, एक तरफ अगर कमला बच-बच कर कूटनीतिक लिहाज से बयानबाजी कर रही थीं, ट्रंप हर मुद्दे पर डंके की चोट पर बात कर रहे थे। उन्हें अगर इललीगल इमिग्रेंट्स को बाहर खदेड़ना था तो उन्होंने दो टूक ऐसा करने की बात भी बोली थी। इसी तरह अगर ट्रंप को इजरायल का समर्थन करना था तो उन्होंने वहां कोई किंतु-परंतु नहीं लगाया, उन्होंने बिना झिझक अपना समर्थन जाहिर कर दिया।

यही ट्रंप का वो आक्रमक रुख रहा जिसने उनके पक्ष में हवा बनाने का काम किया। उनके समर्थक इस बात से खुश थे कि उनके नेता सशक्त हैं, खुलकर अपनी बात रखते हैं और उनके लिए अमेरिका का हित हर कीमत पर जरूरी है।

कारण नंबर 4- राष्ट्रवाद का दांव कर गया काम

डोनाल्ड ट्रंप के लिए इस चुनाव में राष्ट्रवाद का मुद्दा भी अपना असर दिखा गया है। अगर ट्रंप के प्रचार को ध्यान से देखा जाए तो उन्होंने हर रैली में कहा था- मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’। यह उनका अंदाज है अपने समर्थकों में राष्ट्रवाद की भावना को जगाना। इसे जानकार थोड़ा भावनात्मक अंदाज भी मानते हैं जिसके दम पर वोटर असल मुद्दों को छोड़ सिर्फ राष्ट्र प्रेम के नाम पर किसी एक नेता के पीछे चले जाता है। कमला हैरिस के साथ कोई भी ऐसा भावनात्मक मुद्दा नहीं था, वे सिर्फ मुद्दों पर चुनाव लड़ती रह गईं और अंत में हार भी गईं।

कारण नंबर 5- बाइडेन के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी

इस चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को सिर्फ अपनी रणनीति की वजह से ही जीत नहीं मिली है, बाइ़डेन प्रशासन की कुछ असफलताओं ने भी उनकी जीत की पटकथा लिख दी थी। कहना चाहिए कि बाइडेन की गलतियों की वजह से भी कमला को हार का सामना करना पड़ा है। बात चाहे बेरोजगारी की हो, साइक्लोन के बाद मिसमैनेजमेंट की या फिर युद्ध रुकवाने में पूरी तरह फेल होने की, इस सब के लिए एक बड़े वर्ग के मन में बाइडेन के प्रति जबरदस्त नाराजगी थी। उस नाराजगी ने ही अब ट्रंप के समर्थन में वोट करवा दिया है।