Harvard International Students 2025: अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी US Department of Homeland Security (DHS) की ओर से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को लेकर जारी किए गए आदेश के बाद विदेशी छात्रों के भविष्य पर इसका क्या असर पड़ेगा, यह सवाल मजबूत ढंग से सामने आया है। बताना होगा कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए DHS ने इसे मिले विदेशी छात्रों के दाखिले वाले सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया है।

ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है और इसका सीधा-सीधा असर दुनिया भर के लगभग 7000 छात्रों पर होगा।

होमलैंड सिक्योरिटी की सचिव के द्वारा जारी किए गए इस आदेश से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की Student and Exchange Visitor Information Systems (SEVIS) तक पहुंच मुश्किल हो जाएगी।

ट्रंप प्रशासन ने रद्द किया विदेशी छात्रों को दाखिला देने वाला हार्वर्ड का सर्टिफिकेट

SEVIS एक फेडरल डेटाबेस है जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों को ट्रैक करता है और उनके वीजा स्टेटस को बनाए रखने के लिए जरूरी है। SEVIS को एक्सेस न कर पाने की वजह से हॉवर्ड यूनिवर्सिटी विदेशी छात्रों को कानूनी रूप से दाखिला नहीं दे सकती या उनके अमेरिका में पढ़ने के लिए जरूरी योग्यता को भी वेरिफाई नहीं कर सकती।

आमतौर पर किसी विश्वविद्यालय को SEVIS से तब हटाया जाता है जब वह accreditation requirements को पूरा नहीं कर पाता या अपना ऑपरेशन बंद कर देता है तो उससे इसे हटा दिया जाता है लेकिन तब ऐसा राजनीतिक या विचारधारा वाली वजह से नहीं किया जाता।

DHS के क्या हैं आरोप?

इस मामले में Department of Homeland Security (DHS) की ओर से आरोप लगाया गया है कि हार्वर्ड ने यहूदी छात्रों के लिए एक विरोधी और असुरक्षित माहौल कैंपस में बनाया है और वह diversity, equity and inclusion (DEI) के जरिये pro-Hamas और अमेरिका के खिलाफ बयानबाजी करने वाले तत्वों को बढ़ावा दे रहा है।

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चीन से आए थे सबसे ज्यादा छात्र

अब सीधा सवाल यह है कि इसका छात्रों पर कितना असर पड़ेगा। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में मौजूदा वक्त में 6800 अंतरराष्ट्रीय छात्र पढ़ रहे हैं। ट्रंप प्रशासन के फैसले के बाद हालात बेहद नाजुक हो गए हैं और यह नहीं कहा जा सकता कि आगे क्या होगा? यूनिवर्सिटी की ओर से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 2022 में चीन से सबसे ज्यादा विदेशी छात्र आए थे। इसके बाद कनाडा, भारत, साउथ कोरिया, ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और जापान के छात्र थे।

जिन स्टूडेंट ने अपनी डिग्री पूरी कर ली है, वे ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल कर लेंगे लेकिन एक बड़ी संख्या ऐसे छात्रों की है जिन्होंने डिग्री प्रोग्राम्स में दाखिला ले लिया है, उनके लिए अमेरिका की सरकार ने एक अल्टीमेटम जारी कर दिया है कि या तो वे किसी दूसरे SEVP-certified (Student and Exchange Visitor Program) इंस्टिट्यूट में दाखिला ले लें या फिर अमेरिका में अपना लीगल स्टेटस खोने के लिए तैयार रहें।

ऐसे में स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी ट्रांसफर करने में बड़ी मुश्किल पेश आएगी। छात्रों को ऐसे इंस्टीट्यूट की तलाश करनी होगी जो उन्हें दाखिला दे दे, उन्हें नए I-20 (वीजा स्टेटस के लिए जरूरी दस्तावेज) फॉर्म हासिल करने होंगे और SEVIS में अपनी जानकारी भी अपडेट करनी होगी लेकिन हॉवर्ड अब इसे एक्सेस नहीं कर सकता।

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