अमेरिका के कैलिफोर्निया में 76 वर्षीय भारतीय-अमेरिकी डॉक्टर ने मरीजों को नशीले पदार्थ समेत अवैध दवाएं व अन्य चिकित्सकीय परामर्श वाले पर्चे लिखने के एक पुराने मामले में अपना जुर्म कबूल लिया है। यूएस अटॉर्नी फिलिप ए. टॉलबर्ट की ओर से जारी एक बयान के अनुसार मोडेस्टो निवासी स्वतंत्र चोपड़ा ने पिछले बुधवार को अवैध दवाएं और चिकित्सकीय सामग्री लिखने का जुर्म कबूल कर लिया है।

2020 में स्वतंत्र चोपड़ा ने अपना मेडिकल लाइसेंस कर दिया था वापस

फिलिप ए. टॉलबर्ट के अनुसार इन दवाओं में काफी नशा होता है। आमतौर पर इनका इस्तेमाल नहीं किया जाता है। केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (न्यूरो सिस्टम) को प्रभावित करने वाली ये दवाएं केवल चिकित्सकीय रूप से आवश्यक होने पर ही दी जा सकती हैं। लेकिन चोपड़ा इसे अपने मरीजों को मनमर्जी से दे रहा था। उसने 2020 में इस मामले के लंबित रहने के दौरान अपना मेडिकल लाइसेंस वापस कर दिया था।

दोषी ठहराए जाने पर हो सकती है 20 वर्ष तक की जेल

कैलिफोर्निया के पूर्वी जिले के यूएस अटॉर्नी दफ्तर ने कहा कि यूएस डिस्ट्रिक्ट जज जेनिफर एल. थर्सटन पांच सितंबर को चोपड़ा के मामले में फैसला सुना सकती हैं। दोषी ठहराए जाने पर उन्हें 20 वर्ष तक की जेल हो सकती है। 10 लाख अमेरिकी डॉलर का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। बताया गया कि चिकित्सक का अपराध काफी गंभीर है। इस मामले में उसे सजा होने की संभावना काफी ज्यादा हैं।

अटॉर्नी का कहना है कि जिन दवाओं को प्रतिबंधित की श्रेणी में डाला गया है वो काफी खतरनाक भी हो सकती हैं। अगर कोई मरीज लंबे अरसे तक इनका सेवन करता रहे तो उसे नुकसान पहुंचने की संभावना काफी ज्यादा रहती है। इसी वजह से सरकार इस मामले में सख्त कदम उठाती है। बताया गया कि इस तरह के मामलों को लेकर काफी संजीदगी बरती जा रही है। हम नहीं चाहते कि हमारे लोग नशे के आदी बनें। जो कोई भी इस तरह से उनको नशे की तरफ धकेलता है वो गंभीर अपराध करता है।