ऑस्ट्रेलिया के वृद्ध वैज्ञानिक डेविड गुडऑल का चमकता करियर रहा है। अब उनकी उम्र 104 साल है। लेकिन 102 साल तक वह ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में एडिथ कोवान विश्वविद्यालय में काम कर रहे थे। यहां पर वह मानद रिसर्च एसोसिएट के तौर पर काम कर रहे थे। बुधवार (2 मई) को ऑस्ट्रेलिया से अपने आखिरी सफर पर निकल पड़े। डेविड गुलऑल अपनी जिंदगी खत्म करने के लिए दुनिया के दूसरे छोर की ओर रवाना हुए हैं। डेविड गुडऑल वनस्पति शास्त्र और इकोलॉजी (पारिस्थितिकी) के बड़े वैज्ञानिक हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक डेविड ऐसा नहीं है कि डेविड गुडऑल किसी बीमारी से पीड़ित हैं। लेकिन वह अपनी जिंदगी का सम्मानजनक अंत चाहते हैं। वो कहते हैं, “मेरी आजादी छिन रही है, इसलिए मैंने ये फैसला लिया है।”
पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया में उन्होंने अपना जन्मदिन मनाया था। तब ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन को कहा था, “मुझे इस उम्र का पछतावा है, मैं खुश नहीं हूं, मैं मरना चाहता हूं, ये दुख की बात तो नहीं, लेकिन अच्छा होता अगर इसे टाल जा सकता।” डेविड गुडऑल कहते हैं कि वह इच्छा से अपनी जिंदगी को खत्म करने के लिए स्विटजरलैंड के एक क्लिनिक में जाएंगे, लेकिन ऐसा करने के लिए उन्हें ऑस्ट्रेलिया छोड़ने का दुख भी है।” मौते के लिए स्विटजरलैंज चुनने की वजह यह है कि इस देश में कानून ने 1942 से ‘असिस्टेड डेथ’ को मान्यता दी हुई है। यह कानून भारत में यह हाल में ‘इच्छा मृत्यु’ पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले जैसा है।
डेविड गुडऑल की पैदाइश लंदन में हुई थी। कुछ हफ्ते तक वह पर्थ में एक फ्लैट में अकेले रहते थे। उन्होंने 1979 में ही नौकरी छोड़ दी थी। इसके बाद फील्ड वर्क में उन्होंने मन लगाया। हाल ही में उन्होंने ‘इकोलॉजी ऑफ द वर्ल्ड’ नाम की किताब का संपादन किया था। ऑस्ट्रेलिया से बाहर की यात्रा पर निकल रहे डॉ गुडऑल के साथ उनकी दोस्त कैरल ओ’नील होंगी। कैरल असिस्टेड डाइंग एडवोकेसी समूह एक्सिट इंटरनेशनल से जुड़ी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक डॉ गुडऑल ने अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला पिछले महीने हुई एक घटना के बाद किया। दरअसल एक दिन वह अपने घर पर गिर गये थे और दो दिन तक किसी को नहीं दिखे। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें 24 घंटे निगरानी की सलाह दी। कैरल बताती हैं, “वे आजाद ख्याल व्यक्ति रहे हैं, हर समय अपने आस-पास को किसी को नहीं चाहते, उन्हें पसंद नहीं कि एक अजनबी उनकी देखभाल करे।” डॉ गुडऑल के मुताबिक, “मेरे जैसे एक बुजुर्ग शख्स को पूरे नागरिक अधिकार होने चाहिए जिसमें ‘असिस्टेड डेथ’ भी शामिल हो।” उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपनी जान लेना चाहता है तो किसी दूसरी व्यक्ति को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।”
