चीन ने सोमवार (29 अगस्त) को कहा कि 46 अरब अमेरिकी डॉलर का उसका महत्वाकांक्षी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) किसी तीसरे देश पर लक्षित नहीं है और वह इस सामरिक परियोजना का ‘सुचारू संचालन’ सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करेगा। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, ‘चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) भविष्य में द्विपक्षीय सहयोग के व्यापक विकास के लिए दोनों देशों की ओर से स्थापित सहयोग का एक नया ढांचा है। यह किसी तीसरे देश पर लक्षित नहीं है।’ बलूचिस्तान में मानवाधिकारों की बुरी स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दिए गए बयान से जुड़े सवाल पर कन्नी काटते हुए हुआ ने चीन के उस प्रभावशाली थिंक-टैंक की इस चेतावनी पर भी कोई टिप्पणी नहीं की कि यदि सीपीईसी को बाधित करने में भारत की कोई भूमिका पाई जाती है तो चीन और पाकिस्तान ‘संयुक्त कदम’ उठाएंगे।
हुआ ने कहा, ‘कुछ विद्वानों की टिप्पणी पर मैं कुछ नहीं कहना चाहूंगी।’ भारत और अमेरिका की ओर से बलूचिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति पर जताई गई चिंता से जुड़े सवाल का भी जवाब देने से हुआ ने इनकार कर दिया। गौरतलब है कि सीपीईसी पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत बलूचिस्तान से होकर गुजरेगा। इस गलियारे से चीन का मुस्लिम बहुल प्रांत शिंजियांग पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जुड़ेगा। बहरहाल, हुआ ने कहा कि चीन सीपीईसी के सुचारू संचालन के लिए पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करेगा। हुआ ने कहा, ‘यह गलियारा क्षेत्रीय संपर्क के साथ-साथ शांति, स्थिरता एवं विकास को बढ़ावा देने के भी अनुकूल है । गलियारे का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए चीन पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है।’
बीते 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने बलूचिस्तान में मानवाधिकार की स्थिति पर चिंता जताई थी। चीन मोदी के इस बयान पर आधिकारिक तौर पर चुप्पी साधे हुए है। बहरहाल, चीन के एक सरकारी थिंक-टैंक के कुछ विद्वानों ने कहा है कि यदि सीपीईसी को बाधित करने में भारत का हाथ पाया जाता है तो चीन पाकिस्तान के साथ मिलकर संयुक्त कदम उठाएगा।

