China muslim, muslim symbol: चीन में उइगर मुसलमानों पर अत्याचारों की बात किसी से छिपी नहीं है और अब दूसरे देशों में रह रहे उइगरों पर नकेल कसने की उसकी कारस्तानियां सामने आ रही हैं। एक उइगर छात्र अब्दुलमलिक अब्दुलअजीज को मिस्र पुलिस ने गिरफ्तार किया और जब उसकी आंखों से पट्टी हटाई गई तो वह यह देखकर सकते में पड़ गया कि चीनी अधिकारी उससे पूछताछ कर रहे हैं। उसे दिनदहाड़े उसके दोस्तों के साथ उठाया गया और काहिरा के एक पुलिस थाने में ले जाया गया जहां चीनी अधिकारियों ने उससे पूछा कि वह मिस्र में क्या कर रहा है। तीनों अधिकारियों ने उससे चीनी भाषा में बात की और उसे चीनी नाम से संबोधित किया ना कि उइगर नाम से।

बता दें कि उइगर मुसलमानों की पहचान उजागर ना करने के लिए खबर में उनके छद्म नामों का इस्तेमाल किया गया है। अब्दुलअजीज (27) ने कहा, ‘‘उन्होंने कभी अपना नाम नहीं लिया या यह नहीं बताया कि वे असल में क्या हैं।’’ अब्दुलअजीज के खुलासों से 2017 में 90 से अधिक उइगरों की गिरफ्तारियों को लेकर नयी जानकारियां सामने आ रही हैं। इनमें से ज्यादातर उइगर मुस्लिम तुर्किक अल्पसंख्यक समुदाय के थे। जुलाई 2017 के पहले सप्ताह में तीन दिन तक की गई कार्रवाई के बारे में उन्होंने नए खुलासे किए। वह उस समय दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित सुन्नी मुस्लिम शैक्षिक संस्थान अल अजहर में इस्लामिक धर्मशास्त्र का छात्र था।

उसने बताया कि मिस्र के पुलिसर्किमयों ने कहा कि ‘चीनी सरकार ने कहा है कि आप आतंकवादी हैं।’’ हालांकि उन लोगों ने कहा कि वे केवल अल-अजहर के छात्र हैं। मिस्र में सबसे बड़े निवेशकों में से चीन एक है। वह मिस्र में बड़ी ढांचागत परियोजनाओं में निवेश कर रहा है। दोनों देशों के बीच व्यापार पिछले साल रिकॉर्ड 13.8 अबर डॉलर पर पहुंच गया।

इन कार्रवाइयों से महज तीन दिन पहले मिस्र और चीन ने ‘‘आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई’’ पर एक सुरक्षा ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। नस्र सिटी में एक पुलिस थाने में पूछताछ के कुछ दिनों बाद अब्दुलअजीज को टोरा भेज दिया गया जिसे मिस्र की सबसे कुख्यात जेलों में गिना जाता है। हिरासत में रहने के 60 दिन बाद रिहा करने पर वह अक्टूबर 2017 में भाग कर तुर्की चला गया जो उइगर प्रवासियों का हब है। वहीं, शम्स इद्दीन अहमद (26) नामक शख्स को नस्र शहर में चार जुलाई 2017 को मूसा इब्न नासीर मस्जिद के बाहर गिरफ्तार किया गया।

चीन के उत्तर पश्चिमी क्षेत्र शिनजियांग में रहने वाले उसके पिता भी उस महीने लापता हो गए थे। उसने कहा, ‘‘मुझे अभी तक नहीं पता कि वह ंिजदा है या नहीं।’’ अहमद को भी टोरा ले जाया गया। उसने कहा, ‘‘मुझे वहां पहुंचने पर काफी डर लगा। वहां घुप्प अंधेरा था..मैंने सोचा कि कैसे हम कभी यहां से बाहर निकल पाएंगे। मुझे डर था कि वे हमें चीनी अधिकारियों को सौंप देंगे।’’ वहां उइगरों को 45 से 50 व्यक्तियों के दो समूहों में बांट दिया और उन्हें हफ्तों तक बड़ी काल कोठरी में रखा गया। रिहाई से दो सप्ताह पहले उइगरों और विभिन्न अन्य चीनी जातीय वंश के चीनी मुसलमानों को तीन समूहों में विभाजित कर दिया गया और उन्हें कलर कोड दिए गए। लाल, हरे या पीले रंग से पता चलता था कि उन्हें प्रर्त्यिपत किया जाएगा, रिहा किया जाएगा या उनसे और पूछताछ की जाएगी।

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अहमद ने दावा किया कि 11 दिन की पुलिस हिरासत के दौरान तीन चीनी अधिकारियों ने उससे खासतौर से उसके पिता के बारे में पूछताछ की। उसने बताया कि उन्होंने पूछा कि उसके पिता कहां है और वे कैसे उसे पैसे भेजते हैं? अहमद हरे रंग के समूह में था जिसका मतलब था कि उसे रिहा कर दिया जाएगा। वह अक्टूबर 2017 की शुरुआत में इस्तांबुल भाग गया। पकड़े गए अन्य उइगरों की कहानी भी कुछ इस तरह की है। मानवाधिकार समूहों का कहना है कि दस लाख से अधिक उइगर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यक चीन में नजरबंदी शिविरों में रहते हैं जहां उन्हें राजनीतिक विचारधारा बदलने के लिए विवश किया जाता है। मिस्र के गृह मंत्रालय और काहिरा में चीनी दूतावास ने इन खबरों पर कोई टिप्पणी नहीं की है।