चीन की सरकारी रेडियो सेवा, चाइना रेडियो इंटरनेशनल (सीआरआइ) के तमिल विभाग की पत्रकार लियाओ लियांग इतनी धाराप्रवाह तमिल बोलती हैं कि मूल तमिल भाषी व्यक्ति भी उनकी दक्षता से जलने लगे। लियाओ कार्यक्रम में वह खुद को ‘पोंगोथाई’ नाम से पेश करती हैं। यह नाम उनके बहु भाषायी पहचान का अभिन्न हिस्सा बन गया है।
सीआरआइ ने 1963 में तमिल सेवा शुरू की थी। लियाओ तमिल भाषा सेवा के 20 सदस्यीय प्रसारण टीम की सदस्य हैं। इन सदस्यों में अधिकतर तमिल बोलने वाले चीनी कर्मचारी शामिल हैं जबकि कुछ कर्मचारी भारत के रहने वाले मूल तमिल भाषी हैं। लियाओ मिलने पर ‘वणक्कम’ के साथ हाथ जोड़कर अभिवादन करती हैं। लियाओ ने यहां कहा कि मैंने जिज्ञासा वश यह भाषा सीखी थी। मुझे पता है कि कठिन व्याकरण वाली यह एक मुश्किल भाषा है लेकिन मैं इसे सीखना चाहती थी। इसिलए मैंने एक विश्वविद्यालय में दाखिला लिया जहां मेरे तमिल (भारतीय) शिक्षक ने मुझे मेरा तमिल नाम दिया और वहां से मेरा सफर शुरू हुआ।
भारतीय संस्कृति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मुझे यह काफी पसंद है और मुझे भारतीय भोजन-दक्षिण भारतीय व उत्तर भारतीय व्यंजन दोनों पसंद हैं। वह इस साल सितंबर में भारत आई थी और उसकी इच्छा तमिलनाडु की यात्रा कर वहां के लोगों से मिलने की है। सीआरआइ की तमिल सेवा ने तमिलनाडु में अपने श्रोताओं का एक क्लब भी स्थापित किया है। तमिल सेवा को हर साल प्रतिक्रियास्वरूप श्रोताओं के चार से पांच लाख पत्र मिलते हैं। इस तरह तमिल सेवा दो संस्कृतियों को जोड़ने का काम कर रही है।