अमेरिका के लोकतंत्र को लेकर बुलाई गई एक बैठक से चीन काफी नाराज दिख रहा है। इस बैठक में चीन को अमेरिका ने नहीं बुलाया था, वहीं अमेरिका की ओर से ताइवान को इसके लिए न्यौता भेजा गया था। बाइडन प्रशासन के इस कदम से चीन भड़क गया है और उसने अमेरिका पर डेमोक्रेसी को हथियार बनाने का आरोप लगाया है।
चीन ने अमेरिका द्वारा आयोजित लोकतंत्र के लिए शिखर सम्मेलन के बाद अमेरिकी लोकतंत्र को “सामूहिक विनाश का हथियार” करार दिया है। चीन ने कहा है कि इसका उद्देश्य निरंकुश शासन के सामने, समान विचारधारा वाले सहयोगियों को किनारे करना था। चीन ने बाइडन प्रशासन की तरफ से आयोजित किए गए इस लोकतंत्र शिखर सम्मेलन की जमकर आलोचना की है।
रूस, हंगरी और चीन सहित कई देशों को दो दिवसीय वर्चुअल शिखर सम्मेलन से बाहर रखा गया था। इसी को लेकर चीन ने गुस्से में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन पर शीत युद्ध-युग के वैचारिक विभाजन को भड़काने का आरोप लगाते हुए जवाब दिया है। चीन ने कहा है कि इस सम्मेलन के जरिए अमेरिका उसके उदय को रोकने और अलग-थलग करने के लिए एक नया मोर्चा बना रहा है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ऑनलाइन दिए गए बयान में कहा- “‘लोकतंत्र’ लंबे समय से ‘सामूहिक विनाश का हथियार’ बन गया है, जिसका इस्तेमाल अमेरिका दूसरे देशों में हस्तक्षेप करने के लिए करता है।” ताइवान को आमंत्रित किए जाने से भी चीन अमेरिका से खफा है। इसे चीन ने ‘वन चाइना’ नीति का घोर उल्लंघन बताया है, चीन, इसे अपना अभिन्न अंग मानता है।
बयान में चीन ने कहा है कि लोकतंत्र के नाम पर बंटवारे और टकराव को भड़काना इतिहास में लौटने जैसा है। इससे दुनिया में उथल-पुथल और आपदा के अलावा कुछ नहीं आएगा। चीन की तरफ से जारी इस बयान में एक के बाद एक कई आरोप अमेरिका पर लगाए गए हैं।
आगे कहा गया है कि अमेरिका लंबे समय से अपनी राजनीतिक व्यवस्था और मूल्यों को दूसरों देशों पर थोपता रहा है। तथाकथित “लोकतांत्रिक सुधारों” पर जोर देकर एकतरफा प्रतिबंधों का दुरुपयोग करता रहा है। चीन के इन आरोपों पर अभी अमेरिका की तरफ से प्रतिक्रिया नहीं आई है।