भारत-नेपाल संबंधों में चल रही तनातनी के बीच चीन ने काठमांडू के लिए ट्रेड रूट खोल दिया है। इसके जरिए चीन की ओर से नेपाल को उन सभी जरूरी सामानों की आपूर्ति की जाएगी, जिनके लिए पहले वह सिर्फ भारत पर निर्भर करता था। लेकिन पिछले दिनों मधेसी आंदोलन के चलते आपूर्ति में रुकावट आई और नेपाल ने चीन का रुख कर लिया। दोनों देशों ने इस संबंध में एक समझौता किया था, जिसके तहत चीन से नेपाल को ईंधन, खाद्य सामग्री और अन्‍य सामानों की आपूर्ति की जानी है। चीन ने इस दिशा में कदम बढ़ा दिया है और बुधवार (11 मई) को पहली मालगाड़ी तिब्‍बत के रास्‍ते काठमांडू के लिए रवाना भी कर दी गई। चीन का यह कदम भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक हार है।

चीन के सरकारी अखबार पीपुल्स डेली के मुताबिक बुधवार को चीन के पश्चिमोत्तर गांसू प्रांत की राजधानी लांझोउ से 43 कोच वाली मालगाड़ी तिब्बत के लिए रवाना हो गई। इस मालगाड़ी के 83 कार्गो कंटेनर में रोजमर्रा की जरूरी चीजें और घरेलू सामान लदा हुआ है। यह मालगाड़ी नेपाल के सबसे नजदीक तिब्बती नगर शिगेज तक कार्गो कंटेनर को पहुंचाएगी। इसके बाद वस्तुओं को जीलोंग पोर्ट से सड़क रास्ते से 160 किमी दूर नेपाल की राजधानी काठमांडू ले जाया जाएगा। बुधवार को रवाना की गई ट्रेन को 2,431 किमी रेल और 564 किमी सड़क मार्ग तय करने में 10 दिन का समय लगेगा।

पीपुल्स डेली का कहना है कि संयुक्त रेल-सड़क सेवा शुरू होने से चीन के गांसू, किंघाई और तिब्बत इलाके में औद्योगीकरण को बढ़ावा मिलेगा। मार्च में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने चीन का दौरा किया था। उस वक्‍त दोनों देशों ने अहम समझौते पर दस्‍तखत किए थे।