चांद पर पानी होने के संकेत आज से 15 साल पहले मिल चुके हैं। जब भारत का चंद्रयान 1 चांद पर गया था, उसने पाया था कि चांद पर पानी होने की पूरी संभावना है। उस समय दुनिया भी यह जान हैरान थी। इससे पहले अपोलो मिशन के दौरान भी कुछ संकेत जरूर मिले थे, लेकिन चंद्रयान ने एक निर्णायक भूमिका निभाई। अब एक बार फिर चांद पर पानी होने के साक्ष्य मिल गए हैं, इस बार दावा चीन ने किया है।
चीन ने ऐसा कर दिया?
असल में चांग ई-5 अतंरिक्ष अभियान के तहत चीन चांद की मिट्टी साथ में जांच के लाया था। उसके वैज्ञानिकों ने जब गहन रिसर्च की तो पता चला कि चांद की सतह पर पानी है। असल में जब मिट्टी का अध्यय किया गया था तो उसमें पानी के पार्टिकल मिले थे। अब चीन इस खोज से खासा उत्साहित है और वो आगे इसी दिशा में और ज्यादा आगे बढ़ने की बात कर रहा है।
पाकिस्तान की गोलियों का जवाब थे भारतीय सेना की ‘दीवार’ योगेंद्र यादव
भारत कर चुका कारनामा
अब समझने वाली बात यह है कि चीन ने एक बड़ी खोज जरूर की है, लेकिन यह पहली बार है, तो ऐसा भी नहीं देखने को मिल है। खुद नासा इस बात को स्वीकार कर चुका है कि भारत के चंद्रयान मिशन ने इस मिशन में सबसे अहम भूमिका अदा की थी। वैसे चांद पर दुनिया खोजने वाले वैज्ञानिकों की कोई कमी नहीं है, हर देश इस समय धरती से दूर जूसरे गृहों पर दुनिया तलाश रहे हैं।
वैसे जानकारी के लिए बता दें कि अब भारत चंद्रयान-4 की तैयारी कर रहा है। इसरो चीफ सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-4 चांद से सैंपल लेकर वापस धरती पर लौटेगा। इतना ही नहीं यह एक बार में लॉन्च नहीं किया जाएगा। इसे दो हिस्सों में लॉन्चिंग के जरिए चांद की कक्षा में भेजा जाएगा।
चंद्रयान 4 की डिटेल्स
इसरो चीफ ने कहा कि चंद्रयान-4 को दो हिस्सों में लॉन्च करने के बाद इसे अंतरिक्ष में ही जोड़ा जाएगा। एक हिस्सा अंतरिक्ष में भेजने के बाद दूसरा हिस्सा लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद दोनों हिस्सों को अंतरिक्ष में ही जोड़ा जाएगा। अगर ऐसा होता है तो यह दुनिया का पहला ऐसा देश होगा जो इस कारनामे को अंतरिक्ष में पूरा करेगा। बता दें कि चंद्रयान-4 के लैंडर मॉड्यूल को इसरो तैयार कर रहा है। जबकि इसका रोवर जापान द्वारा तैयार किया जा रहा है। चंद्रयान-4 के लिए भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और जापान की JAXA के बीच समझौता हुआ है। इसे 2026 तक चांद में भेजने की तैयारी है।