दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश चीन अब अपनी विवादास्पद परिवार नियोजन नीति में संशोधन करने और दंपतियों को दो बच्चे करने की इजाजत देने के लिए तैयार है। ऐसा दरअसल घटते श्रमबल और तेजी से बूढ़ी होती जनसंख्या से निपटने के लिए किया जा रहा है। चीन में बूढ़ों की संख्या पिछले साल 21 करोड़ 20 लाख पहुंच चुकी है।

नेशनल पीपल्स कांग्रेस की स्थायी समिति के द्विमासिक सत्र में समीक्षा के लिए जमा कराए गए मसविदा संशोधन में कहा गया है, ‘सरकार इस बात की वकालत करती है कि एक दंपति दो बच्चों को जन्म दे सकता है।’ बहरहाल, ऐसी खबरें हैं कि इस नई नीति से लाभान्वित हो सकने वाले दस करोड़ दंपतियों में से ज्यादा लोग ऐसे नहीं हैं जो दूसरे बच्चे में दिलचस्पी लेते हैं। दूसरे बच्चे को पालने में आने वाले खर्च को ध्यान में रखते हुए उनका यह मानना है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति ने अक्तूबर में यह फैसला किया था कि दो-बच्चों वाले सार्वभौमिक नियम को मंजूरी दी जाएगी और यह दशकों पुरानी ‘एक दंपति, एक बच्चा’ वाली नीति की जगह लेगा।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार नियोजन आयोग (एनएचएफपीसी) के प्रमुख ली बिन ने कहा कि सीपीसी का फैसला चीन की बूढ़ी होती जनसंख्या से निपटने के लिए है। इस फैसले को लागू करने के लिए शीर्ष विधायिका को 2002 से लागू परिवार नियोजन कानून में संशोधन करना होगा।

मौजूदा कानून के तहत, जो नागरिक देर से शादी करते हैं और देर से बच्चा पैदा करते हैं उन्हें वैवाहिक और मातृत्व अवकाश लंबे समय के लिए मिलता है। जो लोग स्वेच्छा से एक ही बच्चा पैदा करते हैं, उन्हें जीवन भर कुछ न कुछ लाभ मिलता रहता है। मसविदे में से अनुच्छेद हटा दिए गए, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि नया कानून एक जनवरी 2016 से लागू हो सकता है। साढ़े तीन दशक पुरानी एक बच्चे की नीति को सत्ताधारी सीपीसी ने बदला है क्योंकि देश जनसंख्या से जुड़े भीषण संकट का सामना कर रहा है। चीन की आबादी 1.3 अरब है, जो विश्व में किसी भी अन्य देश से ज्यादा है।

सरकारी समाचार एजंसी शिन्हुआ की खबर के अनुसार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार नियोजन आयोग के
आंकड़े दिखाते हैं कि 2014 के अंत तक चीन में 60 साल या इससे ऊपर की उम्र वाले लोगों की संख्या 21.20 करोड़ पहुंच गई थी। यह संख्या देश की कुल जनसंख्या का 15 प्रतिशत है। वहीं शारीरिक रूप से अक्षमता का सामना करने वाले बुजुर्ग लोगों की संख्या 4 करोड़ पहुंच रही है।

संयुक्त राष्ट्र ने यह पूर्वानुमान लगाया था कि 2030 तक 65 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों की संख्या चीनी जनसंख्या का 18 प्रतिशत होगी। यह संख्या 2011 की तुलना में दोगुना होगी, जो कि चीन में श्रमबल उपलब्धता पर एक नकारात्मक प्रभाव होगा।

संयुक्त राष्ट्र के पूर्वानुमानों के अनुसार, 2050 तक चीन में 60 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों की जनसंख्या करीब 50 करोड़ हो सकती है, जो कि अमेरिका की जनसंख्या से भी ज्यादा होगी। 2013 में, चीन ने जन्म संबंधी नियमों में छूट दे दी थी। इस छूट के तहत उसने दंपतियों को उस सूरत में दूसरा बच्चा करने की अनुमति दी थी, जब पति या पत्नी अपने माता-पिता की इकलौती संतान हो।

बूढ़ी होती आबादी पर चिंता: साढ़े तीन दशक पुरानी एक बच्चे की नीति को सत्ताधारी सीपीसी ने बदला है क्योंकि देश जनसंख्या से जुड़े भीषण संकट का सामना कर रहा है। चीन की आबादी 1.3 अरब है, जो विश्व में किसी भी अन्य देश से ज्यादा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार नियोजन आयोग (एनएचएफपीसी) के प्रमुख ली बिन ने कहा कि सीपीसी का फैसला चीन की बूढ़ी होती जनसंख्या से निपटने के लिए है। चीन में बूढ़ों की संख्या पिछले साल 21 करोड़ 20 लाख पहुंच चुकी है।