चीन के चार शहरों और एक काउंटी में क्रिसमस के दौरान सजावट करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। चीन के नानयांग शहर में 24 घंटों के भीतर एक 27 मंजिला शॉपिंग और ऑफिस कॉम्पलेक्स में लगे क्रिसमस ट्री समेत सभी चीजें हटा दी गईं जो सजावट के लिए इस्तेमाल की गई थीं। हालांकि, देश के ज्यादातर हिस्सों में क्रिसमस को शॉपिंग फेस्टिवल के तौर पर मनाना जारी है। शंघाई और बीजिंग के शॉपिंग मॉल्स में बड़े-बड़े क्रिसमस ट्री देखे जा रहे हैं लेकिन रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग का पारंपरिक संस्कृति पर जोर ईसाई त्योहार के लिए खतरे की घंटी बन रहा है। चीन के करीब 10 स्कूलों के छात्र और शिक्षकों ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि क्रिसमस के जश्न में कटौती की गई है। सिंगापुर के एस राजारत्नम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के चीनी विशेषज्ञ जी यांग ने बताया, ”जब से शी ने सत्ता संभाली है, क्रिसमस के खिलाफ चल रही स्थानीय प्रतिक्रिया व्यापक भावना का हिस्सा है।” उन्होंने कहा, ”शी तेजी से बदलती दुनिया में चीनी परंपरा के लिए एक धर्मयुद्ध के रूप में इसे चुनकर कम्युनिस्ट पार्टी की अपील को व्यापक बनाने की कोशिश कर रहे हैं।”
यांग ने कहा कि क्रिसमस जैसे विदेशी सांस्कृतिक तत्वों को हाशिये पर रखा जा रहा हैं। 2014 से लेकर 2017 बीच भी क्रिसमस के दौरान ऐसा माहौल देखा गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा जा रहा है कि क्रिसमस के दौरान बनते ऐसे माहौल के लिए केंद्र नहीं, बल्कि स्थानीय अधिकारियों जिम्मेदार हैं जो सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के बढ़ते ज्वार के साथ खुद को जोड़ना चाहते हैं। हेनान प्रांत के पूर्वी नानयांग के झोउकोउ स्थित चर्चों में एक नोटिस भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि क्रिसमस को लेकर जो भी योजनाएं हैं उन्हें सरकार के साथ साझा किया जाए।
नाबालिगों के क्रिसमस के कार्यक्रमों में जाने पर बैन लगाया गया है और चर्च का खर्च पर पाबंदी लगाई गई है। अधिसूचना में कहा गया है कि चर्च का खर्च 2000 युआन यानी भारतीय करेंसी के हिसाब से समझें तो करीब 20 हजार रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक चीनी सरकार ने पिछले साल सांस्कृतिक पुनरुद्धार परियोजना के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे जो 2025 तक चीनी पारंपरिक संस्कृति के अंतरराष्ट्रीय प्रभाव में एक उल्लेखनीय इजाफा करने के लिए कहते हैं।