पेरिस में व्यंग्य आधारित साप्ताहिक पत्रिका के पत्रकारों पर हुए जानलेवा हमले में अपने दो भाइयों के साथ अपना नाम आने पर 18 वर्षीय एक युवक ने पुलिस के समक्ष समर्पण कर दिया है।

यह जानकारी मामले एक सूत्र ने दी है।

सूत्र ने बताया, ‘‘सोशल मीडिया पर अपना नाम प्रसारित होने के बाद हमीद मुराद ने बुधवार रात 11 बजे खुद को पुलिस के हवाले कर दिया।
अन्य सूत्र ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया, ‘‘ उसे गिरफ्तार कर लिया गया है और हिरासत में ले लिया गया है।’’

हथियारों से लैस बंदूकधारियों ने इस्लाम समर्थक नारे लगाते हुए बुधवार को चर्चित फ्रांसीसी व्यंग्यात्मक साप्ताहिक पत्रिका ‘शार्ली एब्दो’ के दफ्तर में धावा बोला और 12 लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी। मृतकों में पत्रिका के संपादक शार्ब (स्टीफन शार्बोनिये) भी हैं। चश्मदीदों का कहना है कि हमलावर नारे लगा रहे थे कि पैगंबर मोहम्मद की तौहीन का बदला ले लिया गया है। इस्लामी चरमपंथी इस पत्रिका में कुछ आपत्तिजनक कार्टून छापे जाने से नाराज थे और संपादक को लगातार धमकियां मिल रही थीं। भारत सहित दुनिया के प्रमुख देशों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। इस बीच कई देशों में फ्रांसीसी दूतावासों की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

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आतंकियों की गोलीबारी में संपादक और तीन कार्टूनिस्टों सहित 12 की मौत (फोटो: एपी)

 

इस हमले को फ्रांस के राष्ट्रपति ने बर्बर कृत्य बताया है। पुलिस ने नकाबपोश हमलावरों की धरपकड़ के लिए एक व्यापक अभियान शुरू कर दिया है। सीसीटीवी फुटेज से मिली जानकारी के अनुसार, हमलावरों ने एक कार अगवा कर ली और वे जल्द ही भाग निकले। उन्होंने एक राहगीर को कुचल दिया और अधिकारियों पर गोलियां चलाईं। पुलिस के अनुसार, प्रत्यक्षदर्शियों ने हमलावरों की आवाजें सुनीं, जो एके-47 और रॉकेट लांचर से लैस थे।

हमलावर जोर-जोर से नारे लगा रहे थे- ‘हमने पैगंबर मोहम्मद की तौहीन का बदला लिया है’ और ‘अल्लाहो अकबर’। मारे गए लोगों में दो पुलिसकर्मी भी हैं। सात लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इस हमले के बाद राजधानी पेरिस में चौकसी बढ़ा दी गई है।

ध्यान रहे इस तंजिया पत्रिका ने पैगंबर मोहम्मद के कार्टून प्रकाशित किए थे, जिसे लेकर कट्टरपंथी मुसलमान बहुत खफा थे और काफी समय से संपादक शार्ब को अंजाम भुगतने की धमकियां मिल रही थीं। हमले में शार्ब के अलावा, कार्टूनिस्ट काबू , टिगनस और वोलिंस्की मारे गए हैं। हमला संभवतया उस समय हुआ जब पत्रिका की नियमित संपादकीय बैठक चल रही थी। टीवी फुटेज में इलाके में काफी संख्या में पुलिसकर्मियों, गोलियों से छलनी हुई खिड़कियों और स्ट्रेचर पर ले जाते हुए लोगों को देखा गया। ‘शार्ली हेब्दो’ के दफ्तर पर 2011 में भी हमला हुआ था।

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शार्ली ऐब्दो मैगजीन व्यंग्य समाचारों और कार्टून को पेश करने को लेकर पहले से विवादों में रही है। (फोटो: एपी)

 

 

इराक और सीरिया में हुए संघर्ष का असर फ्रांस और अन्य यूरोपीय देशों में पड़ने की आशंका बढ़ने के बीच ये हमले हुए हैं। आइएस संगठन की ओर से लड़ने के लिए सैकड़ों की संख्या में यूरोपीय नागरिक इराक और सीरिया गए थे। गोलीबारी के फौरन बाद मौके पर पहुंचे फ्रांसीसी राष्ट्रपति ओलांद ने इसे बर्बर आतंकवादी हमला बताया।

ओलांद ने घटनास्थल पर कहा, ‘यह एक असाधारण बर्बर हरकत है जिसे अभी अभी यहां पेरिस में एक अखबार के खिलाफ अंजाम दिया गया है। यह हमला अभिव्यक्ति की आजादी पर है। गोलीबारी के एक चश्मदीद ने बताया कि उसने स्थानीय समय के मुताबिक सुबह करीब साढेÞ ग्यारह बजे दो हमलावरों को ‘ शार्ली हेब्दो’ में गोलीबारी करते हुए निकलते देखा। इस व्यक्ति ने बताया, ‘मैंने उन्हें वहां से जाते और गोलीबारी करते देखा। वे नकाब पहने हुए थे।’ ओलांद ने राष्ट्रीय एकजुटता की अपील करते हुए कहा है, हाल के हफ्तों में कई आतंकवादी हमलों को नाकाम किया गया है। अमेरिका ने हमले की सख्त शब्दों में निंदा की जबकि ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इसे घिनौना करार दिया।

वर्ष 1995 में पेरिस के सेंट माइकल मेट्रो स्टेशन विस्फोट होने से आठ लोग मारे गए थे जबकि 119 अन्य घायल हुए थे। यह व्यंग्यात्मक पत्रिका फरवरी 2006 में पैगंबर मुहम्मद का कार्टून छापने को लेकर चर्चा में आई थी। हालांकि, यह मूल रूप से डेनिश अखबार जेलैंड्स पोस्ट में प्रकाशित हुआ था जिसे ‘शार्ली हेब्दो’ ने दोबारा प्रकाशित किया था। इस कार्टून को लेकर मुस्लिम जगत में रोष छा गया था। इसके कार्यालय पर नवंबर 2011 में गोलीबारी हुई थी और बम फेंके गए थे। नस्लवाद रोधी कानूनों को लेकर अदालत में घसीटे जाने के बावजूद साप्ताहिक ने पैगंबर के कार्टून को प्रकाशित करना जारी रखा। इस हफ्ते के मुखपृष्ठ पर विवादास्पद फ्रांसीसी लेखक माइकल हॉलबेक का जिक्र किया गया था। उनकी हालिया पुस्तक ‘सबमिशन’ में भविष्य में एक ऐसे फ्रांस की कल्पना की गई है जिसमें इस्लामी सरकार का शासन होगा। पुस्तक में गैर मुस्लिम फ्रांसीसी के बीच आव्रजन और समाज में इस्लाम के बढ़ते प्रभाव का व्यापक रूप से जिक्र किया गया है।

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फ्रेंच मीडिया का कहना है कि जब आतंकी मैगजीन के दफ्तर में घुसे तब उन्होंने अल्ला-हू- अकबर के नारे लगाए। (फोटो: रॉयटर्स)

 

इस बीच 20 मुसलिम देशों में फ्रांसीसी स्कूल, वाणिज्य दूतावास और सांस्कृतिक केंद्र हमले की आशंका के मद्देनजर फिलहाल बंद कर दिए गए हैं। इस हमले की राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि विश्व समुदाय को हर देश और समाज से आतंक को जड़ से खत्म करने के लिए एकजुट होना चाहिए। मुखर्जी ने हमले में निर्दोष लोगों के मारे जाने पर संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि दुनिया में कहीं भी आतंक और हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा, विश्व समुदाय को हर देश और समाज से आतंक को जड़ से खत्म करने के लिए एक होना चाहिए। राष्ट्रपति भवन की विज्ञप्ति के अनुसार , मुखर्जी ने हमले में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।

प्रधानमंत्री ने इस हमले को ‘घृणित और निंदनीय’ बताया। उन्होंने कहा कि भारत फ्रांस की जनता के साथ है और इस हमले में जिन लोगों की जान गई उनके परिजनों के साथ हमारी संवेदनाएं हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हमले की निंदा करते हुए इसे ‘कायराना और नृशंस’ आतंकी हमला बताया। उन्होंने कहा, उग्रवाद और असहिष्णुता कभी भी अभिव्यक्ति की आजादी को खत्म नहीं कर पाएंगे और इससे केवल हिंसा बढ़ेगी। सूचना और प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने हमले की निंदा करते हुए कहा कि यह आतंकवाद के विरुद्ध दुनिया के एकजुट होने का आह्वान है। जेटली ने कहा, पेरिस की गोलीबारी मानवता पर हमला है। यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान है कि वह आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हो जाए।